Mini London in Jharkhand : झारखंड के जंगलों के बीच मौजूद भारत का अदृश्य लंदन । क्या आप जानते हैं एक लंदन हमारे भारत में भी है ? चौंकिए मत , आज हम जानेंगे इसके बारे में ।
भारत में भी एक लंदन है जिसे हम मिनी लंदन भी कह सकते हैं । भारत के इस मिनी लंदन का नाम है मैक्लुस्कीगंज ( Mccluskeyganj ) ।
Mccluskeyganj कहाँ है ?
मैकलुस्कीगंज भारत के पूर्वी राज्य झारखंड में स्थित है । वैसे तो झारखंड राज्य अपने विभिन्न जनजातियों के लिए जाना जाता है ।
भारत की एक ट्राइबल कम्युनिटी (Tribal Community ) प्रत्यच्छ और अप्रत्यच्छ रूप से जंगलों पर निर्भर है । पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों के साथ झारखंड की उन क्षेत्रों में आता है जहा एक बड़ी आबादी आधुनिकरण से कोसों दूर है ।
यहां के आदिवासी समाज लंबे समय से अपने लोक संस्कृति , परंपराओं को संजों के रखने का काम कर रहा है । खनिज पदार्थ से संपन्न इस वन प्रदेश झारखंड को भारत का रुर यानी जर्मनी का खनिज प्रदेश भी कहा जाता है ।
जंगलों के बीच एक अदृश्य स्थान जिसे मिनी लंदन कहा जाता है । जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं । झारखंड के राजधानी रांची से लगभग 64 किमी की दूरी पर है मिनी लंदन । इस कस्बे का नाम है मैकलुस्कीगंज ।
जिसे कभी एंगलो इंडियन कम्युनिटी (Anglo Indian Community) ने बसाया था । यहां भारी संख्या में एंगलो इंडियन ( Anglo Indian) रहा करते हैं । जिनकी आबादी समय के साथ साथ गिरती चली गई ।
हालांकि अब भी यहां एंगलो इंडियन लोगों को देखा जा सकता है। झारखंड के जंगलों के बीच इस सुंदर से कस्बे को बसाने का काम किया था (Colonisation Society of India ) ने । यहां की जमीन 1930 में रातु महाराज से लीज पर ली गई थी । आज का मिनी लंदन करीब 10,000 एकड़ की जमीन पर फैला है जो अब खूबसूरत पर्यटन स्थल भी बन चुका है ।
मैकलुस्कीगंज की नीव किसने रखी ?
मैकलुस्कीगंज की नीव अर्नेस्ट टिमोथी मैक्लस्की नामक एक एंगलो इंडियन (Anglo Indian ) व्यापारी ने रखी थी । झाई रहने के लिए 300 से ज्यादा खूबसूरत बंगलो का निमार्ण करवाया गया था ।
यहां का समाज पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण करता था ।इसलिए उनका रहन सहन और बात करने का ढंग पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित था । जिसे बाद में Mccluskeyganj को ” मिनी लंदन ” कहा जाने लगा ।
कैसे बसा यह मिनी लंदन ( Mini London ) ?
इस प्रदेश के बसने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है ।
कहा जाता है कि जब टिमोथी मैक्लुस्की जब पहली बार यहां आया तो वह यहां की प्रकृति और अबो हवा को देखकर मोहित हो गया और उसने एंगलो इंडियन परिवारों को बसाने की जिद्द ठान ली ।
1930 की साइमन कमिशन ( Simon Commission ) की रिपोर्ट में एंगलो इंडियन का कोई जिक्र नहीं था । ब्रिटिश सरकार ने इसकी जिम्मेदारी से पूरी तरह मुंह मोड़ लिया था ।
जिसके कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था ।इसी बीच टिमोथी मैक्लुस्की ने तय किया कि भारत में ही अपने लोगों के लिए रहने कि व्यवस्था करेगा । और फलस्वरूप मैकलुस्कीगंज / Mccluskeyganj का जन्म हुआ ।
जिसके बाद यहां कई धनी एंगलो इंडियंस परिवारों ने यहां बंगले बनाना शुरू किया । और देखते ही देखते यह खूबसूरत शहर में परिवर्तित हो गया ।
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खुशहाल मैकलुस्कीगंज उस दौर से भी गुजरा जब यहां से लोग दूसरी जगह पलायन करने लगे थे। मैक्लुस्की ने करीब 2 लाख एंगलो इंडियंस को यहां बसने का न्योता दिया था ,जिसमें से 300 परिवार था आकर बसे थे ।
लेकिन धीरे धीरे पलायन के बाद संख्या सिमट कर 20 पर आ गई । यहां से ज्यादातर परिवार अमेरिका , ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के अन्य शहरों में जाकर बस गए ।
खाली बंगले भूत बंगले जैसे लगने लगे । लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब बच्चे परिवार इस शहर को आबाद करने लगे । इसके बाद यहां कई स्कूल खोले गए । सड़के बनवाई गई और जरूरत के सामान की दुकानें भी लगने लगी ।
भले इस शहर की आबादी में गिरावट आयी है ,अब यह जगह खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में उभरी है । सैलानियों के लिए यहां के ज्यादातर बंगलों कों गेस्ट हाउस में तब्दील कर दिया गया । दुगा – दुगी नदी और जागृति विहार कुछ ऐसे स्थान हैं जहां पर्यटक ज्यादा जाना पसंद करते हैं ।
यहां पर मंदिर , मस्जिद और गुरुद्वारे पर्यटकों के ध्यान आकर्षित करते हैं । यहां एक डॉन बॉस्को एकेडमी भी है । नए जगहों कि तलाश में आप भी इस जगह को घूमने का प्लान बना सकते हैं ।
मैकलुस्कीगंज पहुंचने के मार्ग
यदि आप मैकलुस्कीगंज आने का प्लान कर रहे है तो यहां पहुंचने के मार्ग बहुत सारे है । रांची से 64 किमी की दूरी पर मैकलुस्कीगंज स्थित है । रांची से बस और ट्रेन की सुविधा मौजूद है ।
रेल मार्ग से मैकलुस्कीगंज रेलवे स्टेशन और हवाई मार्ग से रांची हवाई अड्डा से आसानी से पर्यटक पहुंच सकते है । पर्यटक अपने निजी वाहन से भी मैकलुस्कीगंज को पहुंच सकते हैं ।
तो ये थी हमारे भारत के मिनी लंदन की जानकारी । यह लेख आपको कैसी लगी हमें बताए अपने एक प्यारे से कॉमेंट के साथ । ऐसी ही झारखंड से जुड़ी रोचक बातें जानने के लिए आप हमारी फेसबुक पेज से भी जुड़ सकते है ।
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भारत का मिनी लन्दन कहाँ है ?
भारत का मिनी लंदन झारखण्ड के मक्कक्लुस्कीगंज नामक जगह पर स्थित है। यह झांरखंड के राजधानी रांची से महज 60 किमी की दुरी पर है।
मकक्लुस्कीगंज का मौसम कैसा रहता है ?
इस जगह को अंग्रेजों द्वारा स्थापित किया गया था जिसका मुख्या कारण यह भी था की यहाँ का वातावरण उनके अपने इंग्लैंड जैसा ही कुछ मह्सुश हुआ। यहाँ के घने पेड़ काफी फैले हुए है वह गर्मियों में भी हलकी हलकी ठंडक देती रहती है।
रांची से mccluskeyganj कितनी दूर है ?
रांची से यह मिनी लंदन केवल 60 से 65 किमी की दुरी पर स्थित है।
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