Jharkhand GK : 5 Amazing Facts of Ranchi District
शायद आपको पता नहीं हो रांची का नाम पहले से रांची नहीं था। रांची का पुराना नाम विलकिंसनगंज और विशुनपुर रहा था।
रांची जिला पहले से जिला नहीं था। रांची जिला बनने से पहले यह लोहरदगा जिला में शामिल था।
शायद आपको पता नहीं हो रांची का नाम पहले से रांची नहीं था। रांची का पुराना नाम विलकिंसनगंज और विशुनपुर रहा था।
रांची जिला पहले से जिला नहीं था। रांची जिला बनने से पहले यह लोहरदगा जिला में शामिल था।
Damodar Ghati Pariyojana : एक से अधिक उद्देश्यों को लेकर बनाए गई नदी घाटी परियोजना को बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना ( Multipurpose River Valley Project ) कहा जाता है ।
इन बहुउद्देशीय परियोजनाओं के अंतर्गत बड़ी बड़ी नदियों पर बांध बनाए जाते हैं जिनसे कई प्रकार के कार्य किए जाते हैं । उनमें से प्रमुख हैं – सिंचाई , जल विद्युत उत्पादन , मत्स्य पालन ,नौका परिवहन , बढ़ नियंत्रण । इन सब के साथ साथ पर्यटन स्थल बना कर पूरे राज्य और देश भर के लोग ऐसे जगहों को और भी खूबसूरत भी बनाया जाता है ।
18वी सदी के ब्रिटिश कालीन भारत में बिरसा का जन्म 15 नवंबर 1875 में चालकाद के पास उलिहातु गांव में हुआ । उस बालक के रूप में विदेशी दास्ता के जंजीरों में जकड़े भारत के उरांव , मुंडा और खड़ी आदिवासियों को अपना आबा अर्थात भगवान मिल चुका था । Birsa Munda …
झारखण्ड के अलग संस्कृति और सभ्यता की तरह यहाँ का खान-पान भी बाकि राज्यों से अलग है जो अन्य राज्यों में काफी मुश्किल से ही दीखता है , और कहीं-कहीं तो पाया भी नहीं जाता है। झारखण्ड के लाजवाब जायकों के बारे में जान कर आप भी एक बार सभी व्यंजनों ( Delicious Foods ) को एक बार चखने की इच्छा जरूर उत्पन कर लेंगे ।
झारखंड के 13 ऐसे जगह जहां इस चिलचिलाती गर्मी बाय-बाय बोला जा सके । इस गर्मी में झारखंड में घूमने के लिए मुख्य स्थल यहां के जलप्रपात , हिल स्टेशन , नदी के किनारे या डैम के आस पास का है । 13 Amazing Places to Visit in Jharkhand ….
छऊ नृत्य मतलब ”Chhau Dance” , झारखण्ड के अनेक लोक नृत्यों में सबसे खास है। इस नृत्य की उत्पत्ति झारखण्ड से ही हुई और पुरे विश्व भर में प्रचलित भी हुई।
प्रकृति को पूजते हुए झारखण्ड में कई सारे त्योहार मनाये जाते हैं। उनमे से एक मुख्य त्योहार है जो की पुरे झारखण्ड में पुरे हर्सोल्लास और धूम धाम से मनाया जाता है। इस त्योहार का लोग साल भर से इंतज़ार भी करते हैं। इस पर्व को लोग सरहुल (Sarhul) के नाम से जानते हैं।
डायन प्रथा जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने के मुख्य लक्ष्य से झारखण्ड के सरायकेला – खरसावां की रहने वाली छूटनी महतो (Chhutni Mahato) ने अपनी हर कोशिश लगा दी और सैंकड़ों लोगों को इस कुरीति से प्रताड़ित होने से और लगभग 50 से अधिक लोगों को डायन प्रथा के मौत से बचाया।
हर साल की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रपति के द्वारा 26 जनवरी के दिन पद्म पुरस्कार के लिए चुने गए हस्तियों की लिस्ट जारी की …
क्या आप जानते हैं हमारे झारखण्ड में भी कई ऐसे महान हस्तियां हुए हैं जो भारत वर्ष के उच्च नागरिक होने का दर्जा प्राप्त है ? …