700 पहाड़ियों का वन ” सारंडा “। Saranda Forest : Mini Shimla of Beautiful Jharkhand

Saranda Forest : Mini Shimla of Jharkhand

जिस प्रदेश के नाम में ही जंगल – झार से हो वहां जंगल होना तो अनिवार्य  ही है।  जी हां हम बात कर रहे हैं अपने भारत के छोटे से राज्य झारखंड की । जिसके नाम का अर्थ ही है – जंगल झार वाला स्थान ।

झारखंड में जंगल – झार , पहाड़ – पर्वत , नदी – नाले , झरनें आदि प्राकृतिक वस्तुएं , सभी मनमोहक हैं। यहां का हर एक कोना प्राकृतिक रत्नों से भरा पड़ा है । जिस कारण  इसे भारत का रूर प्रदेश भी कहा गया है ।

अब हम बात करते है झारखंड के मिनी शिमला की मतलब सारंडा वन की । सारंडा का शाब्दिक अर्थ सात सौ पहाड़ियां है। सारंडा वन  झारखंड के सबसे बड़े जिले पश्चिमी सिंहभूम में स्थित है ।सारंडा वन लगभग 197,669 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है ।

यहां के घने वनों के विस्तार का मुख्य कारण है यहां की जलवायु । यह समुद्र तल से 244 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित है । झारखण्ड के पश्चिम सिंहभूम जिले से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित सारंडा लगभग 820 वर्ग किलोमीटर में फैला सघन वन है।

खामोशी में डूबे इस जंगल में हरियाली और खूबसूरती का बेजोड़ मेल देखने को मिलता है। सारंडा का कुछ हिस्सा उड़ीसा एवं छत्तीसगढ़ की सीमा से भी सटा है। 

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यहां भरपूर घने वनों के साथ पहाड़ियां ,घाटियां , झरनें एवं कई सरी प्राकृतिक संसाधन देखने को मिलते हैं । साल ( सागवान ) वृक्ष यहां सबसे अधिक मात्रा में मौजूद हैं । 

आबनूस , कुसुम  , महुआ , करंज , अमलतास , सेमर ,सागवान , आम , जामुन , केंदुब, भीष्म , गम्हार , आसन , पियार , खैर , पलाश , अर्जुन ,नीम ,ढेला , पैसार  जैसे कई घने वृक्ष सारंडा वन में देखने को मिलते हैं। यह वन इतना घना है कि यहां पर सूर्य की किरणें भी नीचे नहीं पहुंच पाती है। 

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इतने सारे वृक्षों की संख्या और उनकी ऊंचाई की देखकर अरिसा लगता है मानो प्रकृति का का अनमोल उपहार झारखंड राज्य को प्राकृतिक वनों के रूप में मिला है।  

कोरोना की वजह से सड़कों , दफ्तरों , कारखानों और सार्वजनिक स्थानों पर भले ही सन्नाटा हो गया हो परन्तु इसके बावजूद भी सारंडा क्षेत्र में पर्यावरण व स्वच्छ हवा की ताजगी अब भी बरकरार है । यहां सदैव हरा भरा व सुरक्षित पर्यावरण मौजूद रहता है ।

कलकल करते प्राकृतिक झरनें जो किरीबुरू खनन क्षेत्र नामक जगह पर स्थित है ,की आवाज़ सुनाई पड़ती है । चिड़ियों की चहचहाहट सुनने वाले को अपनी और खूब आकर्षित करती हैं । इतने सारे प्राकृतिक नजारे देखकर ऐसा ही मालूम पड़ता है मानो  व्यक्ति मिनी शिमला का भ्रमण कर लिया हो । 

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यहां पर अनेक पर्यटन स्थल मौजूद हैं । नोवामुंडी में शिव दर्शन के लिए शिवभक्तों और पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है । सिरिंगासिया घाटी शहीद स्थल के रूप में जाना जाता है । ब्रिटिश काल में यहां अंग्रेजों से युद्ध किया गया था ।

 हिरनी जलप्रपात – हिरनी नामक गांव में स्थित है। हिरनी फाल्स घूमने के अलावा पर्यटक 3 किलोमीटर दूर बने डियर पार्क एवं 3.5 किलोमीटर दूर स्थित खूबसूरत रॉक गार्डन का मज़ा भी ले सकते है।

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पक्षिमी सिंहभूम जिले को झारखंड राज्य की रत्नागर्भ भूमि कहा गया है क्योंकि यहां अनेक प्रकार के खनिज सम्पदा पाये  जाते है । उनमें से एक है – लौह अयस्क (Iron Ore)। यहां उच्च कोटि का हेमेटाइट लौह अयस्क मिलता  है । 

यह लौह अयस्क लाल और भूरे रंग का होता है । मैग्नेटाइट लौह अयस्क काले रंग का होता है । इसमें हरी या भुरी झलक होती है ।इसमें लोहे का अंश 71 प्रतिशत तक होता है ।  गौर करने की बात है कि पसिरा बुरू केंदुर क्षेत्र में नोवामुंडी की खान 300 मीटर ऊंची दो श्रेणियों  में स्थित है । जो पूरे एशिया महादेश की सबसे बड़ी लौह अयस्क खान है ।

अब सारंडा वन क्षेत्र का पर्यावरण स्वतंत्र रूप से नजर आने लगा है । सकारात्मक पक्ष को देखें तो यहां सुरक्षा बल व वनों का प्रशासनिक विभाग मौजूद है । नकारात्मक पक्ष मानो तो नक्सली । 

सारंडा क्षेत्र में शैक्षणिक संस्थान की कमी है । व्यावसायिक कौशल संस्थान ,स्वास्थ्य सुविधाएं , जनजागरण एवं तकनीकी सुविधाओं का अभाव है ।आर्थिक विकास के लिए रोजगार की कमी है ।ऐसे क्षेत्र में पर्यावरण के व्यावहारिक ज्ञान देने हेतु सर्वेक्षण एवं भ्रमणों को महत्व देना चाहिए ।

पहुंचने के मार्ग 

झारखण्ड की राजधानी रांची से इसकी दूरी 90 किलोमीटर है। वहीं रांची से कुछ दूर स्थित खूंटी नामक स्थान से इसकी दूरी मात्र 20 किलोमीटर है। पर्यटक अपने निजी वाहन से आसानी से यहां पहुंच सकते हैं।

यह भी जानें 

बरतें सावधानियां 

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भले ही घने जगलों में घूमने का रोमांच आपको खूब उत्साहित करता हो किन्तु यहां अधेंरे के बाद घूमना खतरे से खाली नहीं होगा। ऐसे स्थानों पर  जंगली जानवरों का खतरा अंधेरे में ज्यादा होता है ।

 साथ ही हिरनी फाल्स के ज्यादा करीब जाने से बचे, क्योंकि यह खतरनाक साबित हो सकता है। झरने के पानी का बहाव अपनी ओर आकर्षित कर सकता है जिससे आपके जान को खतरा भी हो सकता है । इससे हमें सावधान रहना चाहिए ।

तो ये थी कुछ जानकारी सारंडा वन के बारे में। आपको कैसी लगी ये जानकारी हमें बताएं अपने एक छोटे से कमेंट के साथ। आपके कमैंट्स हमें ऐसी ही रोचक जानकारी लाने के लिए प्रेरित करती हैं। 

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Frequently Asked Questions

सारंडा वन कितने क्षेत्र में फैला है ?

सारंडा वन लगभग 800 वर्ग किमी में फैला हुआ है।

2 thoughts on “700 पहाड़ियों का वन ” सारंडा “। Saranda Forest : Mini Shimla of Beautiful Jharkhand”

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