झारखण्ड की शेरनी छूटनी महतो | Padma Shree Chhutni Mahato : The Tigeress of Jharkhand

Padma Shree Chhutni Mahato :

झारखण्ड जैसे खूबसूरत प्राकृतिक गोद में बसे राज्य में कहीं भी नजर फेरा जाये तो यहाँ की खूबसूरती झलकती हुई देखने को मिलती है। खासकर झारखण्ड राज्य के गांव में कई अद्भुत दृश्य देखने के लिए नसीब होते हैं जो और कहीं नहीं मिल सकती। 

गांव की संस्कृति , सभ्यता , कलाकृति तथा वहां की प्राकृतिक खूबसूरती का कोई जोड़ नहीं है। गांव के लोगों में एक अलग ही स्वभाव जो गांव की खूबसूरती को बयां कर अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इतने सारे खूबसूरत कलाकृति , संस्कृति , सभ्यता के बीच झारखण्ड के गांवो में कुरीतियां भी साथ ही साथ पनपती रहती हैं , जो गांव , समाज को आपस में तोड़ने का काम करतीं हैं।

झारखण्ड के कुछ प्रमुख कुरीतियों में से एक है : डायन प्रथा। डायन प्रथा समाज को इस प्रकार खोखली बना देती है की वहां के लोग मनुष्य के अंदर के एक इंसान को नहीं देख पाते हैं और उसे कई प्रकार से पुरे समाज में प्रताड़ित करते हैं । यह अधिकतर गावों में देखने को मिलतीं हैं। 

इस डायन प्रथा जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने के मुख्य लक्ष्य से झारखण्ड के सरायकेला – खरसावां की रहने वाली छूटनी महतो (Chhutni Mahato) ने अपनी हर कोशिश लगा दी और सैंकड़ों लोगों को इस कुरीति से प्रताड़ित होने से और लगभग 50 से अधिक लोगों को डायन प्रथा के मौत से बचाया। 

 कौन है छूटनी महतो ?

छूटनी महतो (Chhutni Mahato) का जन्म 1959 में हुआ था । छूटनी महतो एक सरल नाम की एक आम महिला है जो झारखंड राज्य के  गांव बीरबांस , थाना गम्हरिया , जिला सरायकेला -खरसावां  की रहने वाली हैं। 

छूटनी महतो झारखंड की वह शक्श हैं जो न सिर्फ अपने गांव की बल्कि पुरे देश भर के लोगों में यह जागरूकता फ़ैलाने की कोशिश की हैं की डायन नामक कोई चीज़ नहीं होती हैं यह केवल एक मानव भ्रम है।  

छूटनी महतो ने डायन प्रथा से प्रताड़ित पीड़ितों को इस संकट से बचाया है। छूटनी महतो को इस नेक कार्य के लिए वर्ष 2021 में राष्ट्रपति द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। छूटनी महतो अपने एक इंटरव्यू में बताया की वह खुद भी डायन प्रथा का शिकार हो चुकीं हैं। जिन्हें पुरे गांव  डायन बताकर प्रताड़ित  गया था।

उनके जीवन की एक घटना 

उन्होनें बीबीसी एक एक इंटरव्यू में बताया की जब वह 12 साल की थी तब ही उनकी शादी गम्हरिया ठाणे के महतांड डीह गांव के धनंजय महतो से हो गयी थी। और कुछ ही सालों में उनके 3 बच्चे भी हो गए थे। 

उन्होनें अपने बीते दिन की बात को साझा करते हुए बताया की 2 सितम्बर 1995 में जब उनके पडोसी भोजहरी की बेटी बीमार हुई तो वहां के लोगों ने उन पर किसी प्रकार का टोना करने का आरोप लगा दिया। इस बात को ले कर गांव में पंचायत हुई और फिर उन्हें ( छूटनी महतो )  को डायन करार दिया गया। 

उस दिन के बाद कई लोगों ने घर का दरवाजा तोड़कर घर में घुसकर उनके साथ बलात्कार करने की कोशिश की। वह किसी तरह बचने में सफल रहीं।  उनका मानना है की उनका सुन्दर होना उनके लिए एक अभिशाप से कम नहीं था।     

प्रताड़ना की शिकार 

यह तो कुछ भी नहीं था , डायन बताकर गांव वालों ने उन्हें कई प्रकार से प्रताड़ित किया गया था। गांव में ओझा बुलवाकर उन्हें मानव मल को भी पिलाने के लिए मजबूर किया गया था।   

 छूटनी महतो को डायन करार दे देने के बाद उन्हें घर में भी घुसने की इजाजत नहीं मिलने लगी।  अपने बच्चो के साथ रात भर बहार किसी पेड़ के निचे रात गुजारी फिर मायके चली गयी पर वहां भी लोगों ने किसी प्रकार का साथ नहीं दिया।  वहां भी लोगों नेा अपने घर के सारे दरवाजे बंद कर लिए।

Chhunti mahto image

 अंत में छूटनी महतो के भाइयों ने और उनके पति ने उनका साथ दिया। भाइयों ने उन्हें रहने के लिए जमीं दिया और पति ने कुछ पैसे देकर सहायता की।अब छूटनी महतो का मायके ही उनका घर बन चूका था।  

यह सब सह लेना कोई आम बात नहीं  है। इसलिए छूटनी महतो ने अपने जीवन का लक्ष्य ही बना लिया की जो भी महिला इस पप्रताड़ना से जूझ रहीं हाडिन उन्हें वह बचाएंगी। और इस कार्य में वह हद तक सफल भी रहीं।  

100 से अधिक लोगों की मसीहा 

आज वह 100 से भी अधिक महिलाओं के प्रताड़ित होने से बचाया है।  और 50 से अधिक महिलाओं को डायन बोल कर मरने से बचाया है। छूटनी महतो उन महिलाओं के लिए मसीहा साबित हुई जिन्होंने डायन का आरोप सुन कर अपने  कल्पना करना भी छोड़ चुकीं थीं। 

इस कार्य के लिए उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित भी किया गया। फिर अनेकों समाराहों में इन्हें मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाने लगा। 

2021 में पद्म श्री से सम्मानित 

छूटनी महतो अपने छोटे से गांव से उठकर अपने इस महँ कार्य के लिए पुरे जिले भर में प्रचलित होने लगीं और सके जगहों पर बुलाकर सम्मानित भी किया जाने लगा । धीरे धीरे अनेक जिलों में छूटनी महतो की छवि झलकने लगी। राज्य सर्कार द्वारा भी इन्हे सम्मानित होने का मौका मिला।  

Chhutni mahato with president

इसके बाद वर्ष 2021 में राष्ट्रपति डॉ रामनाथ कोविंद द्वारा छूटनी महतो को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह क्षण न केवल छूटनी महतो के लिए बल्कि उनके पुरे गांव परिवार , जिला के साथ साथ पुरे झारखण्ड और पुरे भारत को गौरवान्वित किया। 

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