नदी घाटी परियोजनाओं द्वारा सिंचाई के साथ बाढ़ नियंत्रण ,जल विद्युत उत्पादन , मत्स्य पालन , नौका परिवहन आदि कार्य किए जाते हैं। इसके लिए नदी पर बांध बनाए जाते हैं ,जिसे बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना कहते हैं ।
भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना को आधुनिक भारत के मन्दिर , मस्जिद एवं गुरुद्वारा कहा है ।
झारखंड के बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना
- दामोदर घाटी परियोजना
- स्वर्णरेखा नदी परियोजना
- मयूराक्षी परियोजना
- उत्तरी कोयल परियोजना
- कोयल कारो परियोजना
दामोदर घाटी परियोजना :
दामोदर घाटी परियोजना भारत की प्रथम नदी घाटी परियोजना है । इस परियोजना की रूप रेखा USA की टेनेंसी नदी घाटी योजना के आधार पर तैयार की गई है ।
यह परियोजना झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल की संयुक्त परियोजना है ।
इस परियोजना के अन्तर्गत आठ बांध , एक अवरोधक बांध एवं तीन तापीय विद्युत केन्द्रों की स्थापना का प्रावधान किया गया था । इससे सम्बन्धित बांध एवं नदियां ।
1.बांध – तिलैया बांध
नदी – बराकर नदी
2. बांध – मैथन बांध
नदी – बराकर नदी
3. बांध – कोनार बांध
नदी – कोनार नदी
4. बांध – बोकारो बांध
नदी – बोकारो नदी
5. बांध – बाल पहाड़ी बांध
नदी – बराकर नदी
6. बांध – पंचेत बांध
नदी – दामोदर व बराकर नदी
7. बांध – बेरमो बांध
नदी – दामोदर नदी
8. बांध – अय्यर बांध
नदी – दामोदर नदी
अवरोधक बांध : दुर्गापुर , अवरोधक बांध ।
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स्वर्णरेखा परियोजना
यह झारखंड की दूसरी महत्वपूर्ण परियोजना है जो स्वर्णरेखा एवं उसकी सहायक नदियों पर स्थित है ।
यह झारखण्ड , पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा की संयुक्त परियोजना है ।
मयूराक्षी परियोजना
मयूराक्षी परियोजना झारखंड और पश्चिम बंगाल दोनाें ही राज्यों में चलाई जा रही है । मयूराक्षी परियोजना के अन्तर्गत दुमका जिले में मसानजोर नामक स्थान पर डैम का निर्माण किया गया है ।
यह डैम कनाडा सरकार की सहायता से बनाया गया है। अतः इसे ” कनाडा डैम ” के नाम से भी जाना जाता है।
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उत्तरी कोयल परियोजना
इस परियोजना के तहत कुटकू नामक स्थान पर एक बांध एवं एक विद्युत गृह बनाया जाना है । इसके अलावा यहां नहर का निर्माण किया जाना है ।
कोयल – कारो परियोजना
यह झारखण्ड राज्य की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण नदी घाटी परियोजना है ,जिसका उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण , सिंचाई, पनबिजली उत्पादन तथा भूमि क्षरण को रोकना है ।
यह परियोजना दक्षिण कोयल नदी तथा इसकी सहायक कारो नदी पर स्थित है। कोयलकारो परियोजना के अन्तर्गत 710 मेगावाट बिजली के उत्पादन का लक्ष्य है । जनता के प्रबल विरोध के कारण यह परियोजना बन्द पड़ी है ।
Frequently Asked Questions ( FAQs )
- कृषि कार्य में सिचाई सुविधा उपलब्ध करवाती है।
- बाढ़ पर नियन्त्रण करती है ।
- जल-विद्युत का उत्पादन कर देश के अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाता है।
- भूमि अपरदन पर प्रभावी रूप से नियन्त्रण करती है ।
- उद्योग-धन्धों ( कल कारखानों ) का विकास करने में सहायक होती है ।
- मत्स्य पालन को बढ़ावा मिलता है ।
- जल परिवहन का विकास करने में मदद करती है।
- शुद्व पेयजल की आपूर्ति करती है ।
- नदियों का प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध होने से तलछट बहाव कम हो जाता है ।
- अत्यधिक तलछट जलाशय की तली पर जमा हो जाता है ।
- इससे भूमि का निम्नीकरण होता है।
- भूकंप की संभावना बढ़ जाती है।
- किसी कारणवश बॉंध के टूटने पर बाढ़ आ जाना।
- जलजनित बीमारियॉं
- जल प्रदूषण
- वनों की कटाई और उपजाऊ जमीन बेकार हो जाती है ।
- मृदा व वनस्पति का अपघटन हो जाता है।
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