Netarhat Hill Station : झारखंड अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए जाना जाता है। यहां के हरे भरे जंगल , पहाड़ियां , जलप्रपात , एवं नदियां भरपूर अपने पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है । यहां पर स्थित कई मनोरम स्थल प्रकृति के असल खुबसूरती का प्रमाण पेश करती है और तो और ऐतहासिक महत्व को भी दर्शाती है ।
आज उन्ही में से एक घने पहाड़ों और घाटियों के बिच बसे एक खूबसूरत से जगह के बारे में जानेंगे। यह झारखण्ड का एक खूबसूरत हिल स्टेशन भी है। इसे Beautiful Hill Stations of Jharkhand के श्रेणी में सबसे ऊपर रखा जाता है।
नेतरहाट : छोटा नागपुर की रानी
झारखंड की धरा पर प्रकृति की सबसे खुबसूरत भेंट नेतरहाट है । जिसे छोटानागपुर की रानी के नाम से भी जाना जाता है और Netarhat : Hill Station of Jharkhand के नाम से भी जाना जाता है । इस हिल स्टेशन के मनोहारी दृश्य यहां की सूर्योदय एवं सूर्यास्त का नज़ारा है ।
यहां चीड़ के वन ,नेतरहाट डैम , नाशपाती और नख के बागान ,कोयल नदी का दृश्य और कई झरनों की प्राकृतिक सुंदरता देखने योग्य है।
राजधानी रांची से 157 किमी की दूरी पर पश्चिम में नेतरहाट को ” झारखंड की मल्लिका “ भी कहा जाता है ।जंगलों घिरा यह पठार समुद्र तल से 3700 फुट की ऊंचाई पर स्थित है ।
नेतरहाट की उत्पत्ति
लातेहार जिले में स्थित नेतरहाट शब्द की उत्पत्ति ” नेचर हाट ” से हुई है । यह बाद में चल कर नेतरहाट बन गया । इसका क्षेत्र 2489 वर्ग मी में फैला हुआ है ।और यह पलामू प्रमंडल में आता है।
नेतरहाट में पूरा विश्वभर में एक आकर्षण है जो आज भी बेजोड़ है । जिसे पर्यटक इसकी ओर खिंचे चले आते हैं।
आधुनिक विश्व के लिए नेतरहाट का इतिहास ब्रिटिश लोगों के आने के बाद प्रारंभ होता है। यहां के घरों के डिजाइन पर ब्रिटिश परंपराओं का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है ।
नेतरहाट के मुख्य पर्यटन स्थल
- कोयल व्यू प्वाइंट ( सनराइज प्वाइंट )
- लोअर घघरी जलप्रपात
- अप्पर घघरी जलप्रपात
- मैग्नोलिया प्वाइंट ( सनसेट प्वाइंट )
- नतरहाट के सुहाने डगर
- लोध जलप्रपात
- नेतरहाट आवासीय विद्यालय
- होटल ” प्रभात विहार “
कोयल व्यू प्वाइंट ( सनराइज प्वाइंट )
चूंकि नेतरहाट के सूर्योदय के समय बहुत महत्वपूर्णमाना जाता है । होटल प्रभात विहार के छत पर अधिकांश पर्यटक तकरीबन सुबह के 6:00 बजे ही इस अति मनमोहक दृश्य को देखने के लिए आ जाते हैं ।
लोअर घघरी जलप्रपात
नेतरहाट पहुंचते ही पर्यटकों का स्वागत करते हुए लोअर घाघरी जलप्रपात सदा तत्पर रहती है । इसकी कल कल करती धारा मन को अलग ही सुकून देती है । शांत वातावरण में इन झरनों की आवाज काफ़ी सुकूनदायक होती है ।
नेतरहाट के सुहाने डगर
नेतरहाट से लगभग 10 किमी पहले बांगेसखुआ स्थान पड़ता है । जो की नीलांबर पीताम्बर का मुख्य द्वार भी है । यहां से एक ओर बेतला अभ्यारण्य तथा दूसरी ओर नेतरहाट जाया जा सकता है ।
बांगे सखुआ में अपने सखुआ के पेड़ों से भरे पड़े हैं । इन जंगलों के बीच बीच में से छन कर आती सूर्य की किरणें आती लुभावन दृश्य को जागृत करती हैं ।
नेतरहाट के बागान
चारों तरफ हरे भरे वन इस डैम की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं । नेतरहाट से सटे गांव भी इसकी सुंदरता को बढ़ावा देते हैं । यहां के लोग एक गाइड के रूप में पर्यटक को को गाइड कर रोजगार करते हैं।
नेतरहाट की खूबसूरती को बढ़ाने में यहां के नाशपाती के बागान , नख के बागान , और अधिकांश हिल स्टेशनों में मिलने वाले चीड़ के पेड़ एक खास अदा निभाते हैं । यहां के वनों की भी नेतरहाट की खूबसूरती को बढ़ाने में अहम योगदान है ।
अप्पर घघरी जलप्रपात
चारों ओर नाशपाती के बागान व नख के बागान को पार करते हुए आप पहुंचेंगे अप्पर घाघरी जलप्रपात जो देखने व महसूस करने लिए काफी है। सड़क-डगर से हट के ढलान की ओर अप्पर घाघरी बेहद खूबसूरत है। इस जलप्रपात के चारो और केवल बड़े बड़े पेड़ ही देखने को मिलते हैं और बीच में जलप्रपात के पानी का बहाव अत्यंत आकर्षित होता है।
लोग यहाँ पहुंच कर खूब सारी मस्ती करते है पानी के साथ खेलते हैं हालाँकि यहां पानी का बहाव इतना भी तेज़ नहीं होता है की कोई बहाव में बाह जाये पर मॉनसून व बारिश के दिनों में यहां का बहाव तेज़ हो जाता है।
नेतरहाट का मौसम
यह जगह सालों भर अपने मौसम के कारण भी जाना जाता है । गर्मी के महीनों में भी यहां अत्यधिक गर्मी का एहसास नहीं होता है । यहां पर जून से लेकर सितंबर तक वर्षा होती है । जिससे यहां का मौसम बड़ा ही खुशनुमा होता है । और पूरे नेतरहाट का तापमान 20 – 25 °C के आस पास ही रहता है जो की पर्यटकों को खूब लुभाता है ।
नेतरहाट का मौसम हर किसी को अपनी और आकर्षित करने में कारगर है। फिर चाहे ही वो तपती धुप वाली गर्मी हो , भरी बारिश वाले मानसून हो या फिर ठिठुरते कड़क ठंढ का मौसम हो यहाँ हर पल मौसम सुहावना और मधुर ही लगता है।
नेतरहाट आवासीय विद्यालय
झारखंड के सभी प्रमुख विद्यालयों में से एक है नेतरहाट आवासीय विद्यालय । हर वर्ष यहां के छात्र छात्रा झारखंड के टॉपरों की सूची में शामिल होते हैं। नेतरहाट आवासीय विद्यालय में नामांकन करवाने के लिए पूरे झारखंड के साथ साथ झारखंड के पड़ोसी राज्यों से भी छात्र यहां पहुंचते हैं ।
लोध जलप्रपात ( Highest Waterfall of Jharkhand )
ठीक नेतरहाट से 61 किमी की दूरी पर स्थित है लोध जलप्रपात । लोध फॉल झारखंड का सबसे ऊंचा जलप्रपात है ।इसकी ऊंचाई से गिरते पानी ऐसे लगता है मानो बादल से सीधे धरती पर बारिश हो रही हो । लोध जलप्रपात को बूढ़ा घाघ जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है ।
नेतरहाट पहुंचने के मार्ग
नेतरहाट के लिए रांची से बस , टैक्सी से जाया जा सकता है ।पर्यटक इस प्राकृतिक पर्यटन स्थल तक पहुंचने के लिए अपने निजी वाहन का भी प्रयोग करते हैं । जो भी पर्यटक सड़क मार्ग से जाना चाहते हैं उन्हें झारखंड की वन अभ्यारण्य की असली खुबसूरती नज़र देखने का अनुभव होगा । सड़को के दोनों ओर हरे भरे पेड़ मन को धीमे धीमे अपनी ओर आकर्षित करते हैं ।
रांची से लोहरदगा होते हुए लगभग 102 किमी पर स्थित घाघरा चौक से दाहिनी तरफ से नेतरहाट की दूरी लगभग 55 किमी है । रास्ते में आने वाले ग्रामीण क्षेत्र की बस्तियों का नज़ारा भी मनमोहक लगता है ।
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ठहरने की व्यवस्था
झारखंड पर्यटन विभाग द्वारा नेतरहाट रिजॉर्ट प्रभात विहार होटल का निर्माण किया गया है। यहां ठहरने एवं खाने का उत्तम प्रबंध है । प्रभात विहार होटल से करीबन 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नेतरहाट डैम से संपूर्ण नेतरहाट का पानी सप्लाई किया जाता है।
Netarhat Images
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Frequently Asked Questions
क्या नेतरहाट पर्यटकों के लिए सुरक्षित है ?
जी बिलकुल सुरक्षित है , यहां तक की वहां के निजी लोग पर्यटकों को गाइड के रूप में वहां की सारी जानकारियां प्रदान करते हैं ।
वहां के सभी लोगों का स्वभाव काफी प्रेम पूर्वक और सहज व्यवहार होता है ।शायद ही कोई ऐसा मिले जिससे पर्यटक नाखुश होते हों ।
केवल अंधेरा होने पर जल्दी ही अपने घर की ओर या किसी होटल ,कमरे की ओर लौट आना ही समझदारी का काम होगा क्योंकि वह इलाका पूरी तरह से जंगली इलाका है और वहां जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है ।
नेतरहाट क्यों प्रसिद्ध है ?
नेतरहाट अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के कारण प्रसिद्ध है । यहां के मौसम सालों भर सुहाने रहते हैं और मानसून के मौसम में यहां के बादल मानो पेड़ों के ऊपर आकर जम गए हों । नेतरहाट अपने नाम से ही प्रसिद्ध है ,इसके नाम का अर्थ है ” बांस का बाजार “ । यहां बांस से बनी कई हस्तकलाएं उचित दामों पर बिकती हैं। बांस के बने टोकरी से लेकर एक से एक खूबसूरत वस्तुएं यहां देखने को मिलती हैं ।
रांची से नेतरहाट कितना दूरी पर है ?
नेतरहाट की दूरी रांची से लगभग 152 किमी , जमशेदपुर से 280 किमी है । वहीं धनबाद से नेतरहाट की दूरी 302 किमी के करीब पर स्थित है ।
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