हर साल की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रपति के द्वारा 26 जनवरी के दिन पद्म पुरस्कार के लिए चुने गए हस्तियों की लिस्ट जारी की गयी। जिसमें पुरे भारत के साथ साथ विदेश भर से मिला कर वर्ष 2022 में कुल 128 हस्तियों को पद्म पुरस्कार से नवाजा गया। 128 पद्म पुरस्कारों में 4 पद्म विभूषण , 17 पद्म भूषण और 107 पद्म श्री पुरस्कार सम्मिलित हैं।
पद्म पुरस्कार के सम्मान से सम्मानित होने वालों की सूची में एक नाम डॉ गिरिधारी राम गौंझू ( Dr Giridhari Ram Gaunjhu ) का भी है, जो झारखण्ड राज्य के ही रहने वाले हैं। डॉ गिरिधारी राम गौंझू को वर्ष 2022 में साहित्य एवं संस्कृति के लिए पद्म श्री से नवाजा गया है।
तो चलिए आज हम जानते हैं गिरिधारी राम गौंझू के बारे में। गिरिधारी राम गौंझू कौन थे , वह क्या करते थे , उन्हें किस कार्य के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया , उनकी क्या उपलब्धियां थी , उनकी जीवन शैली कैसी थी ?
सब जानेंगे आज इस छोटे से लेख के माध्यम से।
कौन थे डॉ गिरिधारी राम गौंझू ?
डॉ. गिरिधारी राम गौंझू |
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पिता |
इंद्रनाथ गौंझू |
माता |
लालमणि देवी |
जन्म |
5 दिसंबर 1949 |
जन्म स्थल |
बेलवादाग ( खूंटी जिला ) |
शिक्षा |
एम.ए. , बीएड ,एलएलबी , पीएचडी |
प्रमुख रचनाएं |
झारखण्ड का अमृत पुत्र: मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा, महाराजा मदरा मुंडा, झारखण्ड के लोक नृत्य, झारखण्ड की पारंपरिक कलाएं, झारखण्ड की सांस्कृतिक विरासत, नागपुरी के प्राचीन कवि, रुगड़ा-खुखड़ी, सदानी नागपुरी सदरी व्याकरण, नागपुरी शब्द कोश, झारखण्ड के लोक गीत, झारखण्ड के वाद्य यंत्र, मातृभाषा की भूमिका, ऋतु के रंग मांदर के संग, महाबली राधे कर बलिदान |
मृत्यु |
15 अप्रैल 2021 |
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डॉ गिरिधारी राम गौंझू का जन्म
डॉ गिरिधारी राम गौंझू का जन्म 5 दिसंबर 1949 को खूंटीं जिला के बेलवादाग नामक गांव में हुआ था। श्री गिरिधारी राम गौंझू का जन्म के एक साधारण से परिवार में हुआ था।उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा रहा।
डॉ गिरिधारी राम गौंझू की शिक्षा
डॉ गौंझू ने प्रारंभिक शिक्षा खूंटी में फिर उन्होंने एमए , बीएड की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने एलएलबी व पीएचडी की भी शिक्षा दीक्षा ली। डॉ. गौंझू रांची विवि स्नातकोत्तर जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग में दिसंबर 2011 में बतौर अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
डॉ गौंझू एक मंझे हुए लेखक एवं रचनाकार भी रहे। इनकी अब तक दो दर्जन से अधिक पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अलावा इन्होंने कई नाटकें भी लिखी हैं।
डॉ गिरिधारी राम गौंझू की जीवनी
जैसा की डॉ गिरिधारी राम गौंझू का जन्म एक मामूली से परिवार में हुआ था तो उनकी रहन सहन भी बिलकुल सरल व साधारण ही थी। वह जिनसे भी मिलते थे कुछ देर में ही बिलकुल घुल मिल से जाते थे। उनका स्वभाव काफी मिलनसार था।
झारखण्ड की कला संस्कृति को सदैव बढ़ावा
डॉ. गौंझू सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में काफी सक्रिय रहा करते थे। झारखंड की कला संस्कृति के क्षेत्र में गिरधारी राम गौंझू एक ऐसे नाम थे, जिन्होंने झारखंड की कला संस्कृति को एक मुकाम दिया। किसी भी कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति जरूर होती थी।
शिक्षाविद, साहित्यकार और संस्कृतकर्मी के रूप में उनकी पहचान थी। झारखण्डी कला संस्कृति की तिकड़ी में डॉ रामदयाल मुंडा, डॉक्टर बीपी केसरी और डॉ गिरिधारी राम गौंझू का नाम था।
झारखण्ड को कल संस्कृति को सदैव बढ़ावा देते थे। उनके हर रचना से झारखण्ड की संवेदना प्रकट होती थी। उन्होंने झारखण्ड को अपनी कलम आपकी कई रचनाओं की हर कलाकृतियों , सभ्यताओं को दर्शाने की कोशिश की है।
उन्होंने अपने रचनाओं के सहारे झारखण्ड प्रदेश में रहने वाले हर आम जिंदगी की गुजर बसर करने वाले पलों को संजोया है।
डॉ गिरिधारी राम गौंझू की रचनाएं
झारखण्ड की कलाकृति , परंपरा , सभ्यता , संस्कृति को बढ़ावा देते हुए डॉ गिरिधारी राम गौंझू से भी अधिक रचनाओं को जन्म दिया। उन्होंने लगभग 25 पुस्तकें भी लिखी हैं जिनके हर एक पन्नों से झारखण्ड के माय माटी की सौंध आती है।
डॉ गिरिधारी राम गौंझू मुख्य रूप से हिंदी और नागपुरी भाषा के साहित्यकार थे। उन्होने नागपुरी में ही कई सारी गद्य , कविताएं नाटकों की रचना की।
उनकी कुछ मुख्य रचनाओं में “अखरा निंदाय गेलक “नाटक जो की झारखंड के प्रमुख समस्या “पलायन” जैसे संवेदनशील विषय को लेकर प्रकाशित किया गया था, जो काफी लोकप्रिय हुआ और नाटक रूपी रचना को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में पाठ्यक्रम के रूप में भी शामिल किया गया।
डॉ गिरिधारी राम गौंझू की प्रमुख पुस्तकें
डॉ गिरिधारी राम गौंझू द्वारा रचित उनकी प्रमुख पुस्तकों की लिस्ट कुछ इस प्रकार हैं।
- झारखंड की सांस्कृतिक विरासत
- नागपुरी के प्राचीन कवि
- रूगड़ा-खुखड़ी
- सदानी नागपुरी सगरी व्याकरण
- नागपुरी शब्दकोश
- झारखंड के लोकगीत
- झारखंड के वाद्ययंत्र
- मातृभाषा की भूमिका
- ऋतु के रंग मांदर के संग
- महाबली राधे कर बलिदान
- झारखंड का अमृत पुत्र : मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा
- महाराजा मदरा मुंडा
- अखरा निंदाय गेलक नाट्य रचना
- कहानी संग्रह
- कविता संग्रह
डॉ गिरिधारी राम गौंझू की उपलब्धियां
डॉ गौंझू एक बहुत ही बड़े साहित्यकार थे जिन्होंने अपने पुरे जीवन को झारखण्ड के प्रति समर्पित करने का प्रयास किया। वह मुख्य रूप से एक शिक्षक भी थे जो वर्ष 1975 में गुमला के चैनपुर स्थित परमवीर अलबर्ट एक्का मेमोरियल कॉलेज से अपनी अध्यापन कार्य शुरू किये थे.
यहाँ वर्ष 1978 तक रहे.फिर रांची के गोस्सनर कॉलेज, रांची कॉलेज रांची और रांची यूनिवर्सिटी स्नातकोत्तर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में दिसंबर 2011 में अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए.
2022 में पद्म श्री का सम्मान
झारखण्ड के कलाकृति , संस्कृति को दर्शाने के हर कोशिश को भारत के राष्ट्रपति ने सराहना करते हुए डॉ गिरिधारी राम गौंझू को वर्ष 2022 में पद्म श्री से सम्मानित करने की घोषणा की है। यह पद्म श्री केवल नहीं बल्कि झारखण्ड समेत पुरे भारत को गौरवान्वित करता है।
झारखण्ड के कलाकृतियों , साहित्यों को विश्व के सामने रखने उन्हें पद्म पुरस्कार सम्मानित किया गया है। पद्म श्री का सम्मान उन्हें मरणोपरांत प्राप्त हुआ।
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डॉ गिरिधारी राम गौंझू का निधन
डॉ गिरिधारी राम गौंझू का निधन उनके इलाज नहीं होने से हुआ। वह गठिया से पीड़ित थे, फेफड़े में भी थोड़ी परेशानी थी। एक दिन उन्हें सांस लेने में उन्हें परेशानी हुई तो कई अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद भी उन्हें एक बेड नसीब नहीं हो पाया।
और जब रिम्स में भर्ती करने की बात आयी तो एम्बुलेंस वालों ने पहले कोरोना चेक करवाने को कहा , किसी तरह रैपिड टेस्ट करवाने के बाद कोरोना नेगेटिव आने पर एम्बुलेंस ने रिम्स लेकर आया। तब तक काफी समय बीत चूका था और हालत काफी नाजुक हो चुकी थी । रिम्स में डॉक्टरों में उन्हें मृत घोषित कर दिया।
यह सभी को झकझोर देने वाली घटना थी। जिन्होंने झारखण्ड के लिए अपना हर कुछ देने की कोशिश किया उन्हें समय पर ठीक से इलाज भी नहीं मिल सका।