जैसा की हम सभी जानते है हमारा भारत देश त्योहारों के देश के नाम से भी जाना जाता है । जिसके हरेक राज्यो में अलग अलग सभ्यता और संस्कृति है।
इस वजह से सभी राज्यों में कई अलग अलग तरह के त्योहार भी मनाए जाते हैं । हमारे झारखंड राज्य में भी कई ऐसे त्योहार है जो कि झारखंड को अलग ही पहचान देती है । तो चलिए जानते हैं झारखंड के मुख्य त्योहारों (Festivals of Jharkhand ) के बारे में –
1. सरहुल पर्व / Sarhul Festival :
- यह आदिवासियों का सबसे बड़ा पर्व है ।
- यह पर्व कृषि कार्य शुरू करने से पहले मनाया जाता है।
- सरहुल पर्व चैत्र शुक्ल की तृतीया को मनाया जाता है।
- इसमें पाहन ( पुरोहित ) सरना ( सखुआ का कुंज ) की पूजा करता है।
- सरहुल फूल का विसर्जन स्थल गीडिदा कहलाता है ।
- मुंडा , उरांव और संथाल जनजातियों में यह पर्व क्रमशः सरहुल , खद्यी , एवं बाहा के नाम से जाना जाता है।
- यह आदिवासियों का एक महत्वपर्ण त्योहार है जो पूरे झारखंड में बड़े धूम – धाम और हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है ।
- इस पर्व को मुख्य रूप से यह उरांव जनजाति के लोग मानते हैं।
- करमा पर्व भादो शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है ।
- करमा और धरमा नामक दो भाइयों पर आधारित इस त्योहार में करम डाल की पूजा की जाती है ।
- इसमें पूरे 24 घंटे का उपवास के रखा जाता है । इस त्योहार में अखड़ा (नृत्य के मैदान ) ने में करम पेड़ की एक डाल गाड़ दी जाती है और रात भर नृत्यगान का कार्यक्रम चलता रहता है ।
– विस्तार से जानें : करमा पूजा – एक प्राकृतिक पर्व
3. फगुआ / Fagua Festival :
- यह होली का झारखंडी रूप है ।
- इस हम झारखंडी होली का भी नाम दे सकते हैं।
- उरांव ,मुंडा , खरदार ,भूमियार , महली , बेडिया , चीक बड़ाइक , करमाली , चेरो , बैगा आदि जनजातियों की इस त्योहार में विशेष रुचि होती है ।
4. आषाढ़ी पूजा / Asadhi Puja :
- यह सदानो एवं आदिवासियों दोनों में प्रचलित है ।
- इसमें आषाढ़ माह में किसी दिन अखड़ा में या घर आंगन में काले रंग की बकरी की बलि दी जाती है तथा तपान चढ़ाई जाती है।
- ऐसी मान्यता है कि इस पूजा को करने से गांव में चेचक जैसी बीमारी नहीं होती है ।
5. मंडा / Manda Mela :
- यह पर्व अक्षय तृतीया वैशाख माह में आरम्भ होता है । इसमें महादेव शिव की पूजा होती है ।
- यह त्योहार सदान और आदिवासी दोनों में सामान्य रूप से प्रचलित है ।
- इस त्योहार में घर का एक सदस्य को व्रती होता है , भगता कहलाता है । उसकी मा या बहन उपवास रखती है जिसे सोखताईन कहा जाता है ।
- इसमें भगताओं को रात्रि में धूप धवन की अग्नि शिखाओं के ऊपर लटकाकर झुलाया जाता है जिसे धुवासी कहते हैं। फिर दहकते अंगारों पर उन्हें चलना होता है ,जिसे फूल खुंदी भी कहा जाता है।
- इस पर्व में शिव की आराधना की जाती है।
6 . धान बुनी / Dhan Buni :
- आदिवासी और सदान इसे त्योहार के रूप में मनाते हैं ।
- इसमें हड़िया का तपान तथा प्रसाद चलता है ।
- मंडा के दिन ही नए बांस की टोकरी तथा धोती में धान ले जाकर खेत जोतकर बोया जाता है ।
7. चांडी पर्व / Chandi Festival :
- यह पर्व माघ पूर्णिमा के दिन उरांव के द्वारा मनाया जाता है ।
- इसमें महिलाएं भाग नहीं लेती है ।
- युवक ही चंडी स्थल में पूजा करते है।
- यहां एक सफेद और लाल मुर्गा और सफेद बकरी बलि के रूप में चढ़ाया जाता है।
- जिस परिवार में कोई गर्भवती महिलब्रहती है उस परिवार का कोई भी सदस्य पूजा में भाग नहीं लेता है।
8. सोहराय / Sohrai Festival :
- यह पशुओं को श्रद्धा अर्पित करने का पर्व है , अर्थात उनके साथ नाचने , गाने और खुशियां मनाने क त्योहर है ।
- इसमें कार्तिक अमावस्या के दिन पशुओं को नदी तालाब में नहला कर उनका सृंगार किया जाता है।
- पशुओं के सिंघो में घी और सिंदूर लगाकर उन्हें सुंदर बनाया जाता है।
- दूसरे दिन गाजे- बाजे के साथ पशुओं को सबको और मैदानों में दौड़ाया जाता है।
9. टुसू पर्व /Tusu Festival :
- यह पर्व झारखंड के आदिवासियों विशेषकर कुड़मी (महतो) जाती के लोगो का प्रमुख त्योहार है ।
- यह त्योहार सूर्य पूजा से संबंधित है तथा मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है।
- यह टुसू नाम की कन्या के स्मृति में मनाया जाता है ।
- सिंहभूम एवम पंच परगना के क्षेत्र में यह पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाता है।
- पंच परगना के क्षेत्र में इस अवसर पर लगने वाला टुसू मेला काफी प्रसिद्ध है ।
10. बहुरा पर्व/ Bahura Festival :
- यह पर्व भादो के कृष्ण पक्ष चतुर्थी के दिन अच्छी वर्षा तथा संतान प्राप्ति के लिए स्त्रियों द्वारा मनाया जाता है ।
- यह पर्व रैज बहरलक के नाम से भी जाना जाता है ।
झारखण्ड के मुख्य पर्व त्योहार की लिस्ट (Festivals of Jharkhand ):
- सरहुल
- मंडा
- करमा
- सोहराई
- धान बुनी
- बहुरा
- कदलेटा
- टुसू
- फगुआ
- मुर्गा लड़ाई
- जावा पर्व
- आषाढ़ी पूजा
- रोग खेदना
- नवाखानी
- सूर्याही पूजा
- जितिया
- चंडी पर्व
- देव उठान
- भाई भीख
- बुरु पर्व
- छठ
- बंदना
- रोहिन / रोहिणी
- हेरो पर्व
- भगता पर्व
- सेंदरा पर्व
- जनी शिकार
- देशाउली
- माघे पर्व
- सावनी पूजा
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झारखंड में प्रकृति से संबंधित कौन-कौन से त्योहार मनाए जाते हैं और कैसे ?
झारखण्ड के अधिकतर पर्व प्रकृति से ही जुड़े होते है। सबसे अधिक लोकप्रिय और लगाव से मानाने वाला पर्व सरहुल , कर्मा को मानते हैं। सरहुल पर्व चैत्र शुक्ल की तृतीया को मनाया जाता है। करमा पर्व भादो शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है ।
विस्तार से जानें : करमा पर्व
सरहुल पर्व
सरहुल कहाँ मनाया जाता है ?
सरहुल पर्व झारखण्ड , ओडिशा , मध्य प्रदेश ,पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है।
सरहुल का त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है ?
सरहुल पर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है।
पहला दिन : मछली के अभिषेक किये हुए जल को घर में छिड़का जाता है।
दूसरा दिन : उपवास रखा जाता है तथा गाओं का पुजारी गाओं की हर घर के छत पर साल के फूल रखता है।
तीसरा दिन : पहन द्वारा सरना स्थल पर सरई के फूलों को पूजा की जाती है तथा पहन उपवास रखता है। साथ ही मुर्गी की बलि दी जाती है। तथा चावल और बलि की मुर्गी का मांस मिलाकर सूड़ी नामक खिचड़ी बनाई जाती है, जिसे प्रसाद क रूप में वितरित किया जाता है।
चौथा दिन : गिड़ीवा नमक स्थान पर सरहुल फूल का विसर्जन किया जाता है।
सरहुल , करमा ,सोहराई किस राज्य में मनाया जाता है ?
सरहुल , करमा और सोहराई तीनो झारखण्ड राज्य के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। पुरे हर्षोलास के साथ यह पर्व झारखण्ड में मनाया जाता है।
सरहुल क्यों मनाया जाता है ?
इस पर्व में साल के वृक्ष की अहम् भूमिका होती है। आदिवासियों का मन्ना है की साल के वृक्ष में उनके देवता बोंगा निवास करते हैं।
आदिवासी कौन कौन से त्यौहार मानते हैं ?
– सरहुल
– करमा
– मंडा
– धान बुनी
– फगुआ
– आषाढ़ी पूजा
– बुरु पर्व
– जावा पर्व
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