Popular Temples of Jharkhand
झारखण्ड राज्य में अनेकों धार्मिक स्थल मजूद हैं। जहाँ हर धर्म के लोग अपने अपने धार्मिक स्थलों पर जा कर अपने धर्म की पूजा अर्चना करते हैं । हिन्दू धर्म में अनेकों देवी देवताओं को पूजा जाता है। जिनके अलग अलग जगहों पर मंदिर बने हुए है। आज हम उनमें से कुछ मुख्य मंदिरों के बारे में जानेंगे।
मंदिर | जिला |
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छिन्मस्तिका मंदिर ( रजरप्पा ) | रामगढ |
जगन्नाथ मंदिर | रांची |
देवड़ी मंदिर | रांची |
महामाया मंदिर | गुमला |
बैद्यनाथ धाम | देवघर |
वासुकीनाथ धाम | दुमका |
सूर्य मंदिर | रांची |
भद्रकाली मंदिर | चतरा |
उग्रतारा मंदिर (नगर) | लातेहार |
झारखण्ड धाम मंदिर | गिरिडीह |
माँ योगिनी मंदिर | गोड्डा |
प्राचीन शिव मंदिर , कैथा | रामगढ |
टांगीनाथ धाम मंदिर | गुमला |
अंजन धाम मंदिर (अंजन ग्राम ) | गुमला |
मदन मोहन मंदिर ,बोड़ेया कांके | रांची |
पहाड़ी मंदिर | रांची |
आम्रेश्वर धाम | खूंटी |
शक्ति मंदिर | धनबाद |
लिल्लोरी मंदीर | धनबाद |
भूफोर मंदिर | धनबाद |
रंकिणी मंदिर | पूर्वी सिंघभूम |
1. छिन्मस्तिका मंदिर (रजरप्पा) :
रजरप्पा मंदिर रामगढ़ जिला में स्थित है । यह दामोदर नदी और भैरवी (भेड़ा) नदी के संगम पर स्थित है । इसकी प्रसिद्धि शक्ति – पीठ के रूप में है ।
तांत्रिकों के लिए तंत्र – साधना हेतु इस उपयुक्त स्थल माना जाता है। यहां शारदीय दुर्गा उत्सव में मां की महानवमी पूजा सबसे पहले संथाल आदिवासियों द्वारा प्रारंभ की जाती है और इन्हीं के द्वारा प्रथम बकरे की बलि दी जाती है।
श्रद्धालु गण देवी छिन्मस्तिका के दर्शन पाने के लिए सवेरे से ही पंक्तिबद्ध खड़े होकर दर्शन करने का इंतजार करते है।
रजरप्पा मंदिर जाने के लिए श्रद्धालु अपने निजी वाहन का प्रयोग कर दर्शन करने जाते है। बस की सहायता से भी श्रद्धालु रजरप्पा मंदिर तक पहुंच सकते है।
2. जगन्नाथपुर मंदिर (रांची) :
जगन्नाथपुर मंदिर की स्थापना 1691 ई में नागवंशी राजा ठाकुर एनी शाह के द्वारा की गई थी। यह मंदिर रांची जिले के धुरवा नामक जगह पर स्थित है ।
पूरी के जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर यहां भी 100 फीट ऊंचे मंदिर का निर्माण किया गया है । रथयात्रा के दिन था विशाल मेला लगता है।
3. देवड़ी मंदिर (रांची ) :
यह मंदिर रांची जिले के तमाड़ से 3 किमी दूर देवड़ी गांव में स्थित है। यहां 16 भूजी देवी की मूर्ति है ।
देवी के मूर्ति के ऊपर शिव की मूर्ति है तथा अगल – बगल में सरस्वती,लक्ष्मी ,कार्तिक और गणेश की मूर्तियां भी हैं।परंपरा के अनुसार इस मंदिर में सप्ताह म 6 दिन पाहन और एक दिन ब्राह्मण पुजारी पूजन करते हैं।
4.महामाया मंदिर (गुमला) :
रांची – लोहरदगा – गुमला मार्ग में लोहरदगा से 14 किमी दूर गम्हरिया नामक स्थान से 1 किमी पश्चिम में हापामुनी नामक गांव में मां महामाया का मंदिर स्थिति है ।
इस मंदिर का निर्माण नागवंशी राजा गजघंट ने 908 ई में करवाया है। इस मंदिर में काली मां को आराधना की जाती है तथा मंदिर में काली मां की प्रतिमा भी स्थापित की है।
यह एक तांत्रिक पीठ है । इस मंदिर का प्रथम पुरोहित द्विज हरिनाथ थे ।
5. पहाड़ी मंदिर (रांची ) :
यह मंदिर रांची में स्थित टुंगरी पहाड़ी (वास्तविक नाम – रांची बुरु )पर स्थित है। 1905 ई। के आस पास इस पहाड़ी के शिखर पर शिव मंदिर का निर्माण (संभवतः पालकोट के राजा द्वारा ) किया गया था।
पहाड़ी पार स्थित इस शिव मंदिर के पास नाग देवता का भी एक मंदिर है। जिसमें नाग देवता की पूजा अर्चना भी की जाती है।
इस मंदिर में श्रवण माह तथा महाशिवरात्रि के दिन अत्यंत भीड़ होती है। श्रावण माह के दौरान प्रत्येक सोमवार को श्रद्धालु मंदिर से 12 किमी दूर स्थित स्वर्णरेखा नदी से जल लेकर इस मंदिर में चढ़ाते हैं।
स्वतंत्रता पूर्व इस पहाड़ी का प्रयोग अंग्रेजों द्वारा फांसी देने हेतु किया जाता था। मंदिर के सामने इस पहाड़ी पर 15 अगस्त 1947 से प्रत्येक स्वत्रंत्रता दिवस और गणतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराया जाता है।
इस पहाड़ी की ऊंचाई 300 फ़ीट है साथ ही यहाँ चढ़ने के लिए कुल 468 सीढ़िया भी हैं।
पहाड़ी मंदिर की पहाड़ी लगभग 4500 मिलियन वर्ष पूर्व ‘ प्रोटेरोज़ोइक काल ‘ का है , जो की हिमालय पर्वत से भी प्राचीन है।
इस पहाड़ के चट्टान जा भौगोलिक नाम ‘ गानेटिफेरस सिलेमेनाइ शिष्ट ‘ है और इसे ‘खोंदालाइट‘ नाम से जाना जाता है।
6. बैद्यनाथ मंदिर (देवघर ) :
बैद्यनाथ मंदिर का निर्माण गिद्धौर राजवंश के दस्वे राजा पुरनमल द्वारा कराया गया था । शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक मनोकामना लिंग बैद्यनाथ धाम देवघर में स्थापित है ।
इस मंदिर के प्रांगण में कुल 22 मंदिर हैं । ये हैं – बैद्यनाथ , पार्वती , लक्ष्मीनारायण , तारा , काली , गणेश , सूर्य , सरस्वती , रामचंद्र , देवी अन्नपूर्णा ,आनंद भैरव ,नीलकंठ , शनि , गंगा , नरवदेश्वर , राम लक्ष्मण सीता , जगत जननी , काल भैरव , ब्रह्म , संध्या , गौरी , हनुमान , मनसा , शंकर , बगुला माता काली के मंदिर।
7. वासुकीनाथ धाम (दुमका) :
वासुकीनाथ धाम दुमका से 25 किमी की दूरी पर स्थित है । बैद्यनाथ धाम आने वाले प्रत्येक तीर्थयात्री यहां आए बगैर अपनी यात्रा पूरी नहीं मानते।
इस धाम की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है । समुद्र मंथन में मंदराचल पर्वत को मथानी और वासुकीनाथ को रस्सी बनाया गया था।
वासुकीनाथ मंदिर को 150 वर्ष पुराना बताया जाता है,जिसका निर्माण कोई बासाकी तांती ने कराया था ,जो हरिजन जाति का था । शिवरात्रि के दिन यहां विशाल मेला लगता है।
8. सूर्य मंदिर ( बुंडू) :
रांची – टाटा मार्ग पर बुंडू के निकट इस मंदिर की स्थापना की गई है । यह मंदिर सूर्य के रथ की आकृति में बनाया गया है ।
इसका निर्माण संस्कृति – विहार ,रांची नामक एक संस्था ने किया है । मंदिर के खूबसूरती के संबंध में स्थानीय साहित्यकारों ने इसे पत्थर पर लिखी कविता कहा है ।
9. मां भद्रकाली मंदिर (चतरा) :
यह मंदिर चतरा जिले के इटखोरी प्रखंड में भादुली गांव में स्थित है। यह एक ही शिलाखंड से तराशी गई मूर्ति है जो 4.5 फीट ऊंची ,2.5 फीट चौड़ी और 30 मन भारी है ।
अनुमान के अनुसार यह मंदिर पाल काल में (5वीं – 6वीं शताब्दी ) स्थापित की गई थी । यहां सहस्र लिंगी शिवलिंग भी है ,जिनमें 1008 छोटे छोटे शिवलिंग उकेरे गए हैं।
मंदिर परिसर में ही कोठेश्वरनाथ स्तूप है ,जिसके चारों ओर भगवान बुद्घ की मूर्तियां अंकित हैं।इसके ऊपर चार इंच लम्बा , चौड़ा और गहरा एक गड्ढा है ,जिसमें हमेशा तीन इंच पानी बना रहता है।
10. उग्रतारा मंदिर (नगर ) :
यह मंदिर लातेहार जिला के चंदवा प्रखंड मुख्यालय से लगभग 9 किमी दूरी पर नगर गांव (मंदार गिरी पहाड़ ) में अवस्थित है ।
इस मंदिर की प्रसिद्धि एक सिद्ध तंत्र पीठ के रूप में दूर दूर तक व्याप्त है । मंदिर से लगभग 2 किमी दूर पश्चिम की ओर पहाड़ी पर एक मजार है ।यह मजार मदारशाह के मजार के नाम से विख्यात है ।
काली कुल की देवी उग्रतारा और श्री कुल की देवी लक्ष्मी का एक ही स्थनबपर स्थापित होना इस मंदिर की मुख्य विशेषता है।
Conclusion : तो आज हमने जाना झारखण्ड के कई प्रमुख मंदिरों को बारे में जो झारखण्ड में काफी प्रचलित होने के साथ साथ कई सारी शक्तियों के अपने अंदर समेटे है। ये थे कुछ Popular Temples of Jharkhand .
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बहुत ही सुंदर लेख सर जी
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏