प्रकृति की गोद में समाया राज्य झारखंड प्रकृति की सुंदरता के साथ साथ और भी कई सारी राज को अपने में समेटे रखा है । कई सारी किस्से ,कहानियां जो कि यहां के सच्ची घटनाओं पर आधारित हैं ,हमें सुनने को मिलती हैं । उनमें से ही एक है नवरतनगढ़ की कहानी । नवरत्नगढ़ झारखंड के इतिहास का वो पन्ना है जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता ।
नवरत्नगढ़ कहां स्थित है ?
नवरत्नगढ़ का क्षेत्र वर्तमान झारखंड राज्य की राजधानी रांची से 70 किमी की दूरी पर सिसई प्रखंड के नगरग्राम के निकट स्थित है ।
नवरत्नगढ़ क्या है ?
झारखंड में नागवंशी महाराजाओं के इतिहास के स्वर्णिम काल में बनी राजधानी नवरतन गढ़ को पहली सुसज्जित राजमहल का दर्जा प्राप्त है ।
नवरत्नगढ़ छोटानागपुर के नगवांश के 46वें वंशज राजा द्वारा बसाया गया एक गढ़ था । जिसे दोइसागढ़ के नाम से भी जाना जाता है । नवरत्नगढ़ में राजा द्वारा कई सारी किलाएं बनवाई गई थी जो काफी आकर्षित और सुंदर थी । नवरत्नगढ़ नगवांशियो की दूसरी राजधानी भी थी । पहले उनकी राजधानी कोकराह हुआ करती थी । बाद में यह राजधानी बदलकर पालकोट में कर दिया गया ।
नवरत्नगढ़ के किले को कब और किसने बनवाया था ?
नवरत्नगढ़ का निर्माण छोटानागपुर के नागवंशी शासक दुर्जनशाल द्वारा करवाया गया था ।प्रकृति की गोद में निर्मित इस किले का निर्माण 16 वीं से 17 वीं शताब्दी के बीच ही करवाई गई थी ।
इस महल का निर्माण नागवंशी के 46वें राजा दुर्जनशाल ने तब करवाया जब उनकी राजधानी दोइसा थी । इस कारण इसे दोइसागढ़ के नाम से भी जाना जाता है ।
नवरत्न गढ़ का किला पहला ऐसा किला बना जिसे नागवंशी शासकों द्वारा बनवाया गया था । ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर यह नवरत्न गढ़ का किला पंचमंजिला था और प्रत्येक मंज़िल में 9 कमरे थे ।परन्तु वहां के लोगों को मानना है की यह किला / महल 9 मंजिला था ।
नवरत्न गढ़ की कहानी
1630ई से 1640ई में 46वें नागवंशी राजा दुर्जनशाल ने खुखरा ( पहला नागवंशी राजधानी ) से अधिक सुरक्षित दोइसागढ़ को बसाया था । 1616 में मुग़ल बादशाह जहांगीर ने दुर्जनशाल पर खुखरा पर आक्रमण करा कर यहां से हीरे , 23 हाथी और खजाना लूट कर आगरा ले गया था । यहां के समृद्ध राजाओं को तब हीरा राजा कहा जाता था। 12 वर्षों तक ग्वालियर (Gwalior) के किलों मेज कैद दुर्जनशाल की हीरे की परख की तकनीक से खुश होकर जहांगीर ने शाह की उपाधि देकर ना सिर्फ मुक्त किया बल्कि दुर्जनशाल के कहने पर अन्य 9 राजाओं को भी मुक्त कर किया ।
नागवंशी राजाओं की एक परम्परा थी कि वे प्रजा से किसी प्रकार के कर (टैक्स) की वसूली नहीं करते थे ।इसलिए इनका गढ़ किसी अंगा राजा महाराजाओं जैसा आलिशान महल नहीं हुआ करता था ।
नागवंशी राजा से जुड़ी दो घटनाएं बताई जाती हैं ।
एक घटना है असली और नकली हीरों को भेड़ों के सिंह में लगवाकर लड़ाया गया जिससे नकली हीरा टूट गया और असली नहीं टूटा । लोगों द्वारा दूसरी घटना बताया जाता है कि एक लोहे के घने से असली और नकली हीरों पर चोट करवाया गया जिससे नकली चुर हो गया और असली घने में ही चिर कर घुस गया
।अब उसे निकालने के लिए दुर्जनशाल के पास मौजूद हीरे को घना के पास सटाया और हीरा अपने आप बाहर निकाल गया ।उसके इस कला से जहांगीर इतना प्रसन्न हुआ कि उसको जेल से मुक्त कर दिया और साथ में शाह की उपाधि भी दी ।
सभी बंदी राजा अपने मुक्तिदाता राजा दुर्जनशाल जिन्हें हीरा राजा भी कहा जाता है उनका किला देखने दोइसागढ़ पहुंचे । दोइसा में मिट्टी खपरैल का कोठा यानी बड़े घर में राजधानी बनी देख कर वे हैरान रह गए । राजा दुर्जनशाल का मानना था कि राजा और प्रजा में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए ।जिस समय राजा न्याय आसान पर बैठेगा तब ही वह राजा कहलायेगा बाकी समय वह सामान्य प्रजा है ।
राजा दुर्जनशाल के इस तरह के राजधानी को देखकर अन्य राजाओं ने मिलकर इनके लिए महल बनवा दिया ।
नगवांश में ऐसा कुछ पहली बार हुआ था कि इनके राज्य में कोई महल बना हो । राजाओं द्वारा महल बनाने पर दुर्जन सिंह बोले कि वह ऐसे महल में नहीं रह सकते ।उनका मानना था कि इससे उनकी जनता का विश्वास समाप्त हो जाएगा ।
नवरत्न गढ़ के नए नगर में एक साथ राजपूत ,मुग़ल एवं नगशैली के महल , रानीवास , मठ ,मंदिर , तहखाना ,गुंबद ,बावली ,तालाब ,पाठशाला तथा सुरक्षा मीनार बने ।
नवरत्न गढ़ नागवंशियों की एक नई परिकल्पना थी । पहले नौ की गणना को बहुत ही शुभ मानी जाती थी और इस शुभ अक्षर को लेकर इसका नाम नवरत्न गढ़ नाम दिया गया ।और हर एक तल्ले पर नौ कमरे बनाए गए । यह नवरत्न गढ़ की अपनी विशेषता थी और है ।इसके अलावा पूरे नवरतनगढ़ की सुरक्षा के लिए सुरक्षा मीनार बनवाया गया था जिससे कोई भी हमलावर नवरत्न गढ़ पर हमला ना कर सके ।
गढ़ के उत्तर की ओर लगभग 21 सेना रहने की छोटे छोटे इकाई थे । और वही पर एक बहुत ही सुन्दर और सुसज्जित मंदिर स्थित है । उस मंदिर में कलाकृतियों की झलक बहुत ही भव्य है जो पाल कालीन कलाकृतियों से मिलती जुलती हैं। कलाकृति में रामायण ,महाभारत ,दशावतार तथा सभी देवी देवताओं का चित्र बनाया हुआ है ।
गढ़ में स्थित नारियल तालाब के पश्चिम में नवरत्न गढ़ पांच मंजिला सीधा सपाट इंटो तथा लकड़ियों से बना मुख्य गढ़ है । इसके प्रत्येक मंजिल में नौ – नौ कमरे हैं । बीच का कमरा बड़ा है ।
नवरत्नगढ़ के उत्तर में मुख्य प्रवेश द्वार है जो बड़े बड़े पत्थरों को तराश कर बिना मसाले के लोहे के हुक से जोड़ा गया है । प्रवेश द्वार से बाहर उत्तर में राजा का दरबार था ।नवरत्नगढ़ के पूर्वी और उत्तरी भाग में
गढ़ के बाहर सुरक्षा के लिए खाई का निर्माण किया गया था । जो कुछ बचे हुए है अब वे खेत बना दिए गए हैं कुछ तो सूखे तालाब प्रतीत होते हैं ।इस गढ़ के उत्तर पश्चिम में एक बावली है जिसमें सतह तक उतरने की सीढ़ी बनी हुई है ।
नवरत्नगढ़ की सरी संरचना नौ शब्दों पर आधारित है ।दूसरी ओर तहखाना और कचहरी ,कचहरी के सामने एक जेल (Under Ground Jail ) स्थित है । आज भी Under Ground Jail का Cell दिखाई पड़ता है ।वह ठीक मंदिर के सामने पश्चिम की ओर स्थित है ।
झारखंड के गौरव नवरत्न गढ़ में नागवंशी राजा तो कभी नहीं लौटेंगे पर उनके अवशेषों को बचाकर इतिहासकार डॉक्टर मथुरा राम उस्ताद ,दामोदर सिंह और सुरेन्द्र साहू जैसे उत्साही उवा एक प्रयास जरूर के रहे हैं । इतिहास के इस पन्ने को पढ़ने के लिए जब हम , आप वहां कभी जाएं तो इंट पथरों का यह महल फिर मुस्कुरा रहा होगा इस आस में की शीघ्र ही इसके आंगन में सहृदय दर्शकों को भीड़ होगी जो इस इतिहास को महसूस करना चाहते हैं ।
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तो आज हमने जाना अपने झारखंड के नवरत्न गढ़ के बारे में ।आपको यह लेख कैसा लगा हमें बताएं एक कमेंट के साथ ।हमें आपके कॉमेंट का इंतजार रहेगा ।
बहुत ही सुन्दर जानकारी दिया आपने 👍👌
bahut hi sundar ye jankaari mili hai ki humare jharkhand me abhi bhi kuch historical place hai.jo hume humari sanshkriti se jodte hai.
Jharkhand ka maan samman hai navratnghad मुझे ऐतिहासिक स्थान बहुत पसंद है मैं जल्दी ही जाउंगा घुमने नवरतनगढ़ किला … मैं लोहरदगा झारखंड से हसीब अंसारी व्लॉग यूट्यूबर