झारखण्ड का पुराना नाम | History Behind Name of Jharkhand – Jharkhand Blogs

क्या आपको पता है झारखण्ड का नाम पहले से नहीं था ? कई बदलाव हुए तब जाकर यह नाम हम आज जान रहे  है। तो चलिए आज हम जानेंगे  की  झारखण्ड के नाम होने से पहले इसके क्या नाम थे और क्या किस्से रहे है इसके पीछे। 

वैसे तो झारखण्ड दो शब्दो से मिल कर बना है।  पहला  ‘ झार ‘ जिसका अर्थ होता है – वन  तथा दूसरा  ‘ खंड ‘ जिसका अर्थ है – भू भाग। अर्थात ‘ झारखण्ड ‘ का  शाब्दिक अर्थ है – वन प्रदेश

 

झारखण्ड क्षेत्र का सर्व प्रथम उल्लेख ऐतरेय ब्राह्मण में पुण्ड या पुंड्र नाम से मिलता है।  वायु पुराण में मुरण्ड तथा विष्णु पुराण में मुंड कहा गया है। महाभारत के ‘दिग्विजय पर्व ‘ में इस क्षेत्र को ‘ पुण्डरीक देश ‘ कहा गया है। इसी ग्रन्थ में इसे ‘ पशु -भूमि ‘ ही कहा गया है। 

 

टॉलमी ने झारखण्ड को ‘ मुंडल ‘ शब्द से सम्बोधित किया है।  हवेनसांग द्वारा छोटानागपुर  के लिए ‘ की-लो-ना-सु-फा-ला-ना ‘ तथा ‘ कर्ण -सुवर्ण ‘ शब्द का प्रयोग किया गया है। 

 

हवेनसांग ने राजमहल क्षेत्र कको ‘ कि-चिंग-काई-लॉ  ‘नाम से सम्बोधित किया गया है। इसके पहाड़ी अंचल को ‘ दामिन-ए-कोह ‘ खा जाता है। संथाल परगना  का क्षेत्र प्राचीन काल में ‘ नारीखण्ड ‘ तथा बाद में  ‘ कंकजोल ‘ के नाम से जाना जाता था।  समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में झारखण्ड को ” मुरुंड ” देश कहा गया है। 

 

1765 ई  से 1834 ई  तक ( ( ईस्ट इंडिया कंपनी  के शासन काल में ) यह क्षेत्र नागपुर या छोटानागपुर के नाम से जाना जाता था। 

 

1833 ई  में साउथ-वेस्ट-फ्रंटियर-एजेंसी की स्थापना के पश्चात् एजेंसी का मुख्यालय विलकिशनगंज या किशुनपुर के नाम से जाना जाने लगा। बाद में इसी को रांची कहा जाने लगा।

 

भगवत पुराण में झारखण्ड को “ किक्कट प्रदेश ” कहा  गया है। पूर्व मध्यकालीन संस्कृत साहित्य में छोटानागपुर को ” कलिंद  देश ” कहा  गया है। 

 

पहली बार 13वी  शताब्दी के एक ताम्रपत्र में झारखण्ड शब्द का उल्लेख मिलता है। 

 

आइने  अकबरी में इस प्रदेश को ” कोकरा ” तथा ” खंकारह ”  कहा गया है। मुग़ल काल में झारखण्ड क्षेत्र “ कुकरा या खुखरा ” नाम से जाना जाता था। 

 

जहांगीर ने अपनी आत्मकथा ” तुजुक-ऐ-जहांगीरी ” में इस क्षेत्र के लिए “खोखरा ” शब्द का प्रयोग किया है। 

 

अबुल फजल कृत ” अकबरनामा “में छोटानागपुर खेत्र को ” झारखण्ड ” कहा गया है। कबीर दस के दोहे एवं मल्लिक मोहम्मद जायसी के ग्रंथ ” पद्मावत ” में भी झारखण्ड शब्द का उल्लेख है। 

    

 

काल नाम
ऐतरेय ब्राह्मण पुंड /पुंड्र
वायु पुराण मुरंड
विष्णु पुराण मुंड
भागवत पुराण किक्कट प्रदेश
समुद्रगुप्त मुरुंड देश
महाभारत पुंडरीक / पशुभूमि
पूर्व मध्यकालीन ( संस्कृत साहित्य ) कलिंद देश

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