Damodar Ghati Pariyojana : एक से अधिक उद्देश्यों को लेकर बनाए गई नदी घाटी परियोजना को बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना ( Multipurpose River Valley Project ) कहा जाता है ।
इन बहुउद्देशीय परियोजनाओं के अंतर्गत बड़ी बड़ी नदियों पर बांध बनाए जाते हैं जिनसे कई प्रकार के कार्य किए जाते हैं । उनमें से प्रमुख हैं – सिंचाई , जल विद्युत उत्पादन , मत्स्य पालन ,नौका परिवहन , बढ़ नियंत्रण । इन सब के साथ साथ पर्यटन स्थल बना कर पूरे राज्य और देश भर के लोग ऐसे जगहों को और भी खूबसूरत भी बनाया जाता है ।
दामोदर नदी घाटी परियोजना
पूरे भारत में कई सारी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना मौजूद है । जिनमें सबसे पहले निर्माण दामोदर घाटी परियोजना का हुआ । दामोदर घाटी परियोजना भारत की सबसे पहली नदी घाटी परियोजना है ।
दामोदर घाटी परियोजना झारखंड एवं पश्चिम बंगाल की संयुक्त परियोजना है।
दामोदर नदी घाटी का निर्माण
पहले, दामोदर नदी को ‘बंगाल का सोर्रो’ ( Sorrow of Bengal ) कहा जाता था। दामोदर के कारण कुछ भयानक बाढ़ें आईं ।बंगाल के बर्धमान शहर का अधिकांश हिस्सा नदी में बह गया था।
तब बर्दवान के महाराजा कीर्ति चंद ने 1789 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जिसके अनुसार, बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए नदी के निर्माण और रखरखाव के लिए महाराजा को एक अतिरिक्त राशि का भुगतान करना था। 1866 और 1873 के वर्षों में, बंगाल तटबंध अधिनियम अस्तित्व में आया, जिसके अनुसार नदी के किनारों का निर्माण और संरक्षण करने का अधिकार प्रशासन को दिया गया था।
दामोदर घाटी निगम की स्थापना
दामोदर नदी घाटी का निर्माण पूर्ण रूप से 1948 में जाकर पूरा हुआ और 7 जुलाई 1948 को यह नदी घाटी परियोजना स्वतंत्र भारत की पहली नदी घाटी परियोजना के रूप में अस्तित्व में आया ।
दामोदर घाटी परियोजना किस नदी पर है ?
दामोदर नदी घाटी परियोजना झारखंड एवं बंगाल की संयुक्त परियोजना है । और यह परियोजना पूरी तरह से दामोदर नदी पर बना हुआ है ।
दामोदर के सहायक नदियों की सहायता से दामोदर नदी पर कुल 8 बड़े बांध बनाए गए हैं । साथ ही साथ 1 अवरोधक बांध , 6 जल विद्युत गृह तथा 3 तापीय विद्युत गृह का निर्माण भी किया गया है ।
दामोदर घाटी परियोजना के बांध
- तिलैया , मैथन व बाल पहाड़ी – दामोदर नदी की सहायक नदी बराकर नदी पर
- पंचेत , अय्यर व बेरमो – दामोदर नदी पर
- बोकारो व कोनार – दामोदर नदी की सहायक नदी बोकारो नदी पर
- एक अवरोधक बांध – दुर्गापुर अवरोधक बांध
दामोदर घाटी परियोजना के जल विद्युत गृह ( Hydal Power Plant )
- तिलैया
- मैथन
- बाल पहाड़ी
- पंचेत
- बेरमो
- कोनार
दामोदर घाटी परियोजना के तापीय विद्युत गृह ( Thermal Power Plant )
- बोकारो
- चंद्रपुरा
- दुर्गापुर
दामोदर घाटी परियोजना का महत्व
किसी भी नदी घाटी परियोजना का मुख्य उद्देश्य ही उसका महत्व होता है। हर नदी घाटी परियोजना के पीछे कई सारी उद्देश्यों को चुना जाता है । जिस कारण इन्हें बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना भी कहा जाता है।
दामोदर घाटी परियोजना बनने के पीछे भी कई उद्देश्य रखे गए है । उनमें से कुछ मुख्य हैं –
- जगह जगह नदी में बांध बनाना
- बांध द्वारा किसानों के लिए खेतों में सिंचाई
- बांध बनने से बाढ़ में नियंत्रण
- पर्यावरण संरक्षण
- वनीकरण तथा सौंदर्यीकरण कर पर्यटन स्थल बनाना
- घरेलू उपयोग हेतु जलापूर्ति
- रोजगार प्रदान कर घाटी निवासियों को आर्थिक सहयोग करना
- यह भी जानें : झारखंड के प्रमुख नदी घाटी परियोजना
दुर्दम्य दामोदर नदी को वश में करने तथा घाटी में बार-बार होनेवाली भयंकर बाढ़ से होने वाली क्षति को नियंत्रित करने के लिए डीवीसी की स्थापना हुई। यह टेनिसी वैली कॉर्पोरेशन के प्रतिमान ( Model )पर आधारित है।
डीवीसी के प्राथमिक उद्देश्य
- बाढ़ नियंत्रण व सिंचाई में सहयोग
- विद्युत उत्पादन , पारेषण व वितरण
- पर्यावरण संरक्षण
- वनीकरण
- दामोदर घाटी के निवासियों का सामाजिक-आर्थिक कल्याण
- घरेलू तथा औद्योगिक उपयोग के लिए जलापूर्ति
Damodar Ghati Pariyojana Map
बंगाल का शोक ( Sorrow of Bengal )
दामोदर नदी को बंगाल का शोक भी कहा जाता है । इसके पीछे यह कारण है कि पश्चिम बंगाल के मैदानी इलाकों में इस नदी के जलस्तर बढ़ने से काफी दूर तक पानी बाढ़ के रूप में प्रवेश कर जाता है और बुरी तरह से छती पहुंचता है । जिस वजह से पूरा इलाका शोक में डूब जाता है और इस कारण दामोदर नदी को ” बंगाल का शोक व Sorrow of Bengal ” कहा जाता है ।
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Frequently Asked Questions
दामोदर घाटी परियोजना का मुख्यालय कहाँ कहाँ है ?
डीवीसी ( Damodar Ghati Pariyojna ) का मुख्यालय (Headquarter) पश्चिम बंगाल स्थित कोलकाता में है ।
डीवीसी टावर्स , वीआईपी रोड
कोलकाता – 700054
दामोदर घाटी परियोजना क्या है ?
दामोदर घाटी परियोजना एक बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। Damodar Ghati Pariyojana झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल की संयुक्त परियोजना है। यह परियोजना भारत की पहली नदी घाटी परियोजना भी है।
इस परियोजना के अंतर्गत कई बहुउद्देशीय योजनाएं बनायीं गयी थी। उनमें से कुछ मुख्य हैं – खेतों की सिंचाई , जलापूर्ति , बाढ़ नियंत्रण , विद्युत् उत्पादन इत्यादि।
Damodar Ghati Pariyojana कहाँ पर स्थित है ?
दामोदर नदी घाटी परियोजना दामोदर नदी पर बनायीं गयी है। यह झारखण्ड के साथ साथ पश्चिम बंगाल की संयुक्त परियोजना होने के कारण यह दोनों राज्यों में स्थित है।
दामोदर घाटी परियोजना कब बना ?
Damodar Ghati Pariyojana पूर्ण रूप से 7 जुलाई 1948 को बनकर पूरा हुआ और यह नदी घाटी परियोजना पुरे भारत की पहली नदी घाटी परियोजना साबित हुई और पहली Damodar Ghati Pariyojana शुरू हुई।
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sabse best rha avi tak ji hume jharkhand ke bare itna details se discribe kiya ho