आज हम सब झारखंड के पुराने राजवंशों के बारे में जानेंगे कि कौन राजवंश कितने पुराने है । और यह भी जानेंगे की कितने समय तक किस राजवंश ने किस जगह राज किया । तो आइए देखते हैं।
प्राचीन में राज्य निर्माण का कार्य मुण्डाओं ने शुरू किया था में अन्य राजवंशों ने अपने अपने राज्य स्थापित किए। इनमें से तीन राजवंश प्रमुख थे – छोटानागपुर के नागवंश, पलामू के रक्सैल और सिंहभूम के सिंहवंश ।
मुण्डा राज्य (सुतिया नागखण्ड ) :
जनजातियों में मुण्डाओं की प्रधानता थी और राज्य निर्माण की प्रक्रिया भी उन्होंने ही शुरू की। छोटानागपुर में रिता / रिसा मुण्डा जनजातीय नेता था जिसने राज्य निर्माण की प्रक्रिया शुरू की। उसने सुतिया पाहन को मुण्डाओं का शासक चुना और नये राज्य का नाम दिया गया – सुतिया नागखन।
सुतिया ने अपने राज्य को 7 गड्ढों और 21 परगनों में विभक्त किया था।
7 गढ़ो के नाम – लोहागढ़ ( लोहरदगा), हजारीबाग , पलुनगढ़ (पलामू) , मानगढ़ (मानभूम) , सिंहगढ़ ( सिंहभूम ) , केसलगढ़ , सुरगुजगढ़ ( सरगुजा ) ।
21 परगनों के नाम – ओमदंडा, दोइसा , खुखरा , सुरगुजा ,जसपुर , गांगपुर , पोरहट , गीरगा , बिरुआ, लचरा , बिरना , सोनपुर, बेलखादर, बेलसिंग, तमाड़ , लोहारडीह ,खरसिंह , उदयपुर , बोनाई , कोरया और चंगमंगकर
सुतिया पाहन द्वारा स्थापित राज्य सम्पूर्ण झारखंड में फैला था । परन्तु दुर्भाग्यवश यह राज्य जल्द ही समाप्त हो गया ।
छोटानागपुर (कोकरा) का नागवंश :
छोटानागपुर में स्थापित नागवंशी राज्य मुख्यतः जनजातियों का राज्य था।
इस राज्य की स्थापना प्रथम शताब्दी में फणिमुकुट राय ने की थी। फणिमुकुट राय पुंडरीक नाग एवं वाराणसी की ब्राह्मण कन्या पार्वती का पुत्र था।
फणिमुकुट राय ने सुतियांबे को अपनी राजधानी बनाई। सुतियांबे में में उन्होंने एक सूर्य मंदिर की स्थापना की थी। फणिमुकुट राय को नागवंश का आदिपुरुष माना जाता है।
नागवंशी राजाओं की राजधानियों का क्रम इस प्रकार रहा – सुतियांबे , चुटिया , खोखरा डोइसा ,पालकोट , रातुगढ़।
पलामू का रक्सैल वंश :
पलामू में प्रारंभ में रक्ससैलों का था, ये रक्सैल राजपुताना क्षेत्र से रोहतासगढ़ होते हुुुए पलामू पहुंचे थे । वे खुद को राजपूत कहते थे ।
इस समय की महत्वपूर्ण जनजातिया खरवार, गोंड, माहे, कोरवा , पहाड़िया तथा किसान थी।इनमें सबसे अधिक संख्या खरवारों की थी ,जिसके शासक प्रताप धवल थे ।
रक्सैलों का शासन काल काफी दिनों तक चला , लेकिन बाद में उन्हें चरों द्वारा अपदस्त कर दिया गया ।
सिंहभूम का सिंहवंश :
सिंहभूम के सिंह राजाओं भूमि के नाम से जाना जाता है। सिंह वंश के उत्तराधिकारियों का दावा है कि सिंहभूम में ‘ हो ‘ जाति के प्रवेश के पूर्व से ही वे अपना राज्य स्थापित कर चुके थे।
लेकिन हो जनजाति के सदस्य इस दावे का खंडन करते हुए प्रतिवाद करते हैं की सिंहभूम का नामकरण उनके कुलदेवता सिंगबोगा के नाम पर हुआ है।
सिंह वंश की पहली शाखा के संस्थापक काशीनाथ सिंह थे । इस वंश ने 52 पीढ़ियों तक राज किया ।
सिंह वंश की दूसरी शाखा का सत्ताभिशेक 1205 ई के करीब हुआ था। इस रखा के संस्थापक दर्प नारायण सिंह थे।
दर्प नारायण सिंह की मृत्यु के बाद युधिष्ठिर शासक बना । 13 वां राजा जगन्नाथ द्वितीय अत्याचारी व निरंकुश था जिसके कारण ‘ भुइया‘ लोगों ने विद्रोह कर दिया था।
अन्य राजवंश :
मानभूम का मान राजवंश : मान राजाओं का राज्य हजारीबाग एवं मानभूम में विस्तृत था।
धनबाद स्थित गोविंदपुर में कवि गंगाधर द्वारााा रचित शिलालेख एवंंं हजारीबाग के दूधपानी नामक स्थान में 8 वीं सदी के शिलालेख में इनका उल्लेख है।
रामगढ़ राज्य : रामगढ़ राज्य की स्थापना 1368 के लगभग बघदेव सिंह ने की थी। कामाख्या नारायण सिंह 1937 ई में रामगढ़ की गद्दी पर बैठे। इनकी राजधानी भी अंतिम समय तक पदमा में ही रही।
1368 ई ने बाघ देव द्वारा स्थापित रामगढ़ राज बिहार राज्य भूमि सुधार अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत 26 जनवरी 1955 को समाप्त हो गया ।
रामगढ़ राज्य की राजधानियों का क्रम इस प्रकार रहा – उर्दा सिसई , बादाम , रामगढ़ , इचाक , पदमा ।
पलामू का चेरो वंश : पलामू का चेरो वंश छोटा नागपुर के नागवंशी एवं मानभूम के पंचेत राज्यों की तरह ही महान राजवंश था। चेरो वंश की स्थापना भागवत राय ने की थी इस वंश के राजाओं का राज्य क्षेत्र पलामू था।
सिंहभूम का धाल वंश : सिंहभूम के धालभूम क्षेत्र में धाल राजाओं का शासन था । धाल राजा संभवतः जाति के धोबी थे। वह नर बलि चढ़ाते थे।
पंचेत के राजा भी धोबी ही थे उन्होंने एक ब्राह्मण कन्या से विवाह कर लिया था । इसी विवाह से उत्पन्न बालक ने धालभूम राज्य की स्थापना की थी।
खड़गड़ीहा राज्य : यह राज्य रामगढ़ राज्य के उत्तर पूर्व में स्थित था इस राज्य की स्थापना 15 वी सदी मैं हंसराज देव नमक एक दक्षिण भारतीय ने की थी ।
उसने बंदावत जाति के एक शासक को परास्त कर हजारीबाग के 90 किलोमीटर लंबे क्षेत्र को अपने अधिकार में कर लिया था।
पंचेत राज्य : यह राज्य मानभूम क्षेत्र का सर्वाधिक शक्तिशााली राज्य था ।
इस राज्य की उत्पत्ति और स्थापना के विषय में प्रचलित जन श्रुति के अनुसार इसकी स्थापना काशीपुर के राजा एवंं रानी की तीर्थ यात्रा के क्रम में पैदा हुए पुत्र नेे किया था।
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