भारत में केंद्र सरकार ने नए शिक्षा नीति को स्वीकृति दे दी है । नए शिक्षा नीति में सारे बदलाव किए गए हैं । कहें तो बिल्कुल ही अलग है यह शिक्षा नीति । इस नए शिक्षा निजी में 10+2 के फॉर्मेट को समाप्त कर दिया गया है। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के पढ़ाई के तरीकों में बदलाव किया गया है।
नए शिक्षा नीति में 10+2 के पैटर्न को हटा कर 5+3+3+4 के पैटर्न में बदल दिया गया है। जिसका अर्थ है कि पहला पांच साल कक्षा 2 तक होगा जिसमें 3 साल प्री – प्राइमरी यानी नर्सरी , एलकेजी (LKG) , फिर यू केजी ( UKG) । उसके बाद पहली कक्षा और फिर दूसरी कक्षा । अगला 3 साल तीसरी कक्षा से पांचवीं कक्षा तक के लिए ,फिर 3 साल कक्षा छठी से कक्षा आठवीं तक के लिए और अंतिम 4 साल कक्षा नवीं से कक्षा बारहवीं के लिए निर्धारित किया है।
नयी शिक्षा नीति में सरकार द्वारा अभिवावकों के लिए एक ऐसा प्रोग्राम तैयार किया जायेगा जिसमें 3 से 6 उम्र तक के बच्चों को घर पर पढ़ाया जा सके ।
अर्ली चाइल्डहुड केयर एजुकेशन का कॉन्सेप्ट : अर्ली चाइल्डहुड केयर एजुकेशन कॉन्सेप्ट में तीन वर्ष की आयु से ही बच्चे तीन साल के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में दाखिल किए जाएंगे। यहां उन्हें खेल के माध्यम से भाषा , संख्या अक्षर की पहचान की सीख दी जाएंगी । रंगो की पहचान , पेंटिंग जैसे सीख को बचपन से ही दिया जाएगा ।
डिजिटल शिक्षा पर जोर : नए शिक्षा नीति में आने वाले हर विद्यार्थियों को कक्षा छठी ( क्लास 6 ) से ही कंप्यूटर लैंग्वेज सीखने का मौका मिलेगा । यह अवसर आने वाले बच्चो के लिए काफी सुनहरा होने वाला होगा । जो कंप्यूटर लैंग्वेज अब तक इंटर में आकर सीखते थे वहीं अब बच्चे कक्षा 6 से ही पढ़ सकेंगे । जिसमें की कोडिंग के बारे में ,और कोडिंग करने सिखाया जाएगा ।
च्वाइस बेस्ड एजुकेशन सिस्टम को मिलेगा बढ़ावा : च्वाइस बेस्ड एजुकेशन की मदद से विद्यार्थी अपने इच्छा अनुसार विषयों का चान्यान कर सकेंगे। वह अपने इच्छा अनुसार विषय को चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे। इस तरह से साइंस के छात्र आर्ट्स के भिब्विष्य पढ़ सकते हैं । या फिर वो साइंस को बीच में ही छोड़ कर किसी दूसरे विषय को पूरा करने पर उस संकाय के आधार पर ही डिग्री दी जाएगी ।
नए शिक्षा नीति में मल्टीपल एग्जिट और मल्टीपल एंट्री का प्रावधान : तकनिकी संस्थानों में ग्रेजुएशन की पढ़ाई चार साल की कोर्स होती है । जिसमें चार साल का कोर्स पूरा करना अनिवार्य होता है ,तब अंत में पूरी स्नातक कि डिग्री मिलती है । परन्तु नए शिक्षा नीति के अनुसार इसमें एक बड़ा बदलाव किया गया है।
अगर कोई छात्र ग्रेजुएशन की पढ़ाई एक साल बाद छोड़ देता है तो उसे एक साल का सर्टिफिकेट , दो साल बाद छोड़ने पर डिप्लोमा सर्टिफिकेट , तीन साल बाद छोड़ने पर डिग्री सर्टिफिकेट और चार साल पूरा करने पर डिग्री के साथ साथ रिसर्च के प्रमाण पत्र देने की व्यवस्था लागू की गई है ।