तिरंगा मास्क बेचना और पहनना दोनों राष्ट्रद्रोह माना जायेगा. तिरंगा मास्क पहनने वालों और इसकी बिक्री करने वालों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज होगा. ऐसे लोगों को तीन साल के लिए जेल और भारी जुर्माने का भुगतान भी करना पड़ सकता है ।
रांची के अपर जिला दंडाधिकारी (विधि व्यवस्था) अखिलेश सिन्हा ने रविवार को तिरंगा मास्क की बिक्री पर रोक के आदेश दिये हैं. तिरंगा मास्क की बिक्री पर रोक के बावजूद यदि किसी ने ऐसा मास्क बेचने की कोशिश की, तो इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना जायेगा और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश जारी किया गया है ।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए केंद्र/राज्य सरकार द्वारा लोगों को आम मास्क का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है. सरकार के निर्देश के आलोक में आम लोग मास्क का उपयोग कर रहे हैं.
इस दौरान कुछ लोग डिजाइनर मास्क भी पहन रहे हैं. स्वतंत्रता दिवस को देखते हुए मास्क बनाने वाली कंपनियों ने तिरंगा मास्क बाजार में उतारकर इसे धड़ल्ले से बेचना शुरू कर दिया है.जिसे रोकने के लिए यह कदम लिया गया है ।
जिला प्रशासन ने ऐसे मास्क की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. एडीएम लॉ एंड ऑर्डर अखिलेश सिन्हा ने इस संबंध में रविवार को आदेश जारी कर दिया. आदेश में एडीएम ने कहा है कि रोक के बावजूद अगर कोई दुकानदार या मास्क के थोक विक्रेता इसकी बिक्री करते पकड़ा जायेगा, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है अपराध
प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 की धारा 2 के अनुसार, देश में राष्ट्रीय ध्वज देश के संविधान का अपमान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कड़ा कानून है. इस कानून में तिरंगे का किसी भी तरह से यूनिफॉर्म बनाकर पहनने को भी गलत माना गया है.
हालांकि, अब तिरंगा से ड्रेस बनाने की अनुमति मिल गयी है, लेकिन इसे कमर से नीचे नहीं पहन सकते.
ऐसा करने पर तिरंगा का अपमान माना जायेगा और संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी. ऐसा करने वालों को 3 साल तक जेल की सजा या फिर जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है. इस कानून के तहत सजा पाने वाले लोग 6 साल तक कोई भी चुनाव लड़ने के योग्य नहीं रह जाते.
राष्ट्रीय ध्वज को झुका देना (शोक की स्थिति छोड़कर), आधा झुकाकर फहराना, नैपकिन या रुमाल के रूप में प्रयोग, किसी तरह का सामान ले जाने के लिए प्रयोग, तिरंगा को जमीन पर रखना और उल्टा फहराना ध्वज का अपमान माना जाता है.
वर्ष 2005 से पहले ध्वज को ड्रेस के रूप में भी प्रयोग की मनाही थी, लेकिन 5 जुलाई, 2005 को इसे सम्मानित तरीके से कमर के ऊपर वेश-भूषा या वर्दी में प्रयोग की अनुमति दे दी गयी.
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वज में फूल की पंखुड़ियां बांधी जा सकती हैं. अन्य किसी भी दिन कोई भी वस्तु ध्वज से बांधना राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना जाता है।
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