Salima Tete : Jharkhand’s 1st Inspiring Female Arjuna Awardee

Salima Tete : झारखण्ड की पहली प्रेरणास्रोत महिला अर्जुन पुरस्कार विजेता

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 2024 का प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सलिमा टेटे को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार समारोह के दौरान राष्ट्रपति भवन में प्रदान किया। सलिमा, जो झारखंड के सिमडेगा जिले की निवासी हैं, इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाली राज्य की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी बन गई हैं। यह पुरस्कार उनके उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन और देश के लिए उनकी समर्पित सेवा का प्रतीक है।


आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे झारखण्ड की बेटी Salima Tete के बारे में , उनके जीवन संघर्षों के बारे में , उनके एक बांस के डंडे से लेकर हॉकी स्टिक तक के सफर के बारे में और कैसे वह आज झारखण्ड की पहली महिला अर्जुन पुरस्कार विजेता बन सकीं।


सलिमा टेटे का जीवन

सलिमा टेटे का जीवन संघर्षों, समर्पण और खेल के प्रति गहरे प्यार से भरा हुआ है। झारखंड राज्य के सिमडेगा जिले के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाली सलिमा ने अपनी यात्रा की शुरुआत बहुत साधारण परिस्थितियों से की थी।

उनका जन्म 27 दिसंबर 2001 को एक ऐसे परिवार में हुआ था, जहां खेलों की परंपरा नहीं थी ,हालाँकि उनके पिता भी हॉकी में रूचि रखते थे। लेकिन उनकी रुचि और लगन ने उन्हें एक नई दिशा दिखाई।


बचपन और परिवार का समर्थन

सलिमा टेटे का बचपन संघर्षों से भरा था। उनके परिवार में खेल की कोई विशेष परंपरा नहीं थी, लेकिन सलिमा का दिल हमेशा खेलों में रमता था। जब वह छोटी थीं, तो अपने गांव के बच्चों के साथ खेल कूद में भाग लिया करती थीं।

Salima Tete Father


सलिमा के पिता, जो एक साधारण किसान थे, ने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया और उनके सपनों को पूरा करने में मदद की। सलिमा के परिवार ने उनका पूरा समर्थन किया, जिससे उन्हें कठिनाईयों के बावजूद खेल में आगे बढ़ने का उत्साह मिला।

हॉकी में रुचि और शुरुआत

सलिमा का हॉकी के प्रति प्यार बहुत जल्दी विकसित हुआ। वह अपने गांव के स्कूल में खेल कूद के प्रति रुचि रखने वाली पहली लड़कियों में से थीं। जब सलिमा ने हॉकी खेलना शुरू किया, तो उसे शुरू में बहुत मुश्किलें आईं। सलीमा ने हॉकी खेलने की शुरुवात एक बांस के डंडे से किया था।


लेकिन उनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें सफलता की ओर बढ़ने के रास्ते खोल दिए। उनका पहला हॉकी बैट उनके पिता ने खरीदा था, जो उन्हें खेल में उत्साहित करने के लिए तैयार थे। सलिमा ने धीरे-धीरे अपनी हॉकी की कड़ी ट्रेनिंग शुरू की, और इस खेल में अपनी पहचान बनाने के लिए वह निरंतर मेहनत करती रहीं।

कोचिंग और प्रशिक्षण का सफर

सलिमा की असली सफलता की शुरुआत उनके कोचों के मार्गदर्शन से हुई। उन्होंने पहले झारखंड के सिमडेगा जिले के स्थानीय हॉकी अकादमी से प्रशिक्षण लिया, जहां उन्होंने अपने खेल को गंभीरता से लिया और अपनी तकनीकी क्षमताओं को बेहतर किया।


सलिमा की मेहनत और समर्पण ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया। उन्होंने अपनी हॉकी कोचिंग में सुधार करने के लिए कई बार राज्य और राष्ट्रीय अकादमियों में भाग लिया। यह प्रशिक्षण सलिमा के लिए एक बड़ा मोड़ साबित हुआ, जहां उन्होंने अपने खेल को और बेहतर बनाया।

राष्ट्रीय टीम में चयन और नेतृत्व का सफर

सलिमा का असली संघर्ष राष्ट्रीय टीम में स्थान बनाने का था। उनकी कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास ने उन्हें भारतीय महिला हॉकी टीम में स्थान दिलाया। शुरुआत में उनकी यात्रा कठिन थी, लेकिन समय के साथ सलिमा ने अपनी जगह बनाई। उनका अद्वितीय खेल कौशल और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें टीम की कप्तान बनने का अवसर प्रदान किया। सलिमा की कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी टीम ने कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में शानदार प्रदर्शन किया। उनकी कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी टीम ने कई बार पदक जीते और भारतीय हॉकी को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। सलिमा के नेतृत्व में भारतीय महिला हॉकी टीम ने भारतीय खेल जगत में एक नई पहचान बनाई है।

समाज में योगदान और प्रेरणा

सलिमा टेटे ने अपने खेल के अलावा समाज में भी कई योगदान किए हैं। वह अपनी सफलता को सिर्फ अपने तक सीमित नहीं रखना चाहती थीं, बल्कि अपनी कहानी के माध्यम से वह अन्य लड़कियों और युवाओं को प्रेरित करना चाहती थीं। वह हमेशा यह संदेश देती हैं कि कठिनाइयों के बावजूद मेहनत और समर्पण से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।


उनके जीवन के संघर्षों ने उन्हें एक आदर्श बना दिया है, और वह चाहती हैं कि आने वाली पीढ़ी भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रयासरत रहे। सलिमा अब विभिन्न मंचों पर महिलाओं और बच्चों के अधिकारों, खासकर खेलों में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए काम कर रही हैं।

वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजना

आज सलिमा टेटे भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान के रूप में अपनी भूमिका निभा रही हैं। उनका सपना है कि भारतीय महिला हॉकी टीम को ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाना। वह अपनी टीम को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। सलिमा का यह मानना है कि टीमवर्क और कड़ी मेहनत के द्वारा भारतीय महिला हॉकी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक सम्मान मिलेगा।


सलिमा टेटे की उपलब्धियां

सलिमा टेटे ने भारतीय महिला हॉकी टीम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और कई महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया है। उनके खेल और नेतृत्व कौशल ने भारतीय हॉकी को नई दिशा दी है। सलिमा की उपलब्धियां न केवल उनकी व्यक्तिगत मेहनत का परिणाम हैं, बल्कि भारतीय महिला हॉकी के प्रति उनके समर्पण और कड़ी मेहनत को भी दर्शाती हैं।

  • भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान: सलिमा टेटे ने भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी टीम ने कई बड़े टूर्नामेंटों में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने टीम को खेल की चुनौतियों से बाहर निकाला और हर मैच में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया।

  • 2018 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में स्वर्ण पदक: सलिमा के नेतृत्व में भारतीय महिला हॉकी टीम ने 2018 में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में स्वर्ण पदक जीता। यह जीत भारतीय महिला हॉकी के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई, और इसने टीम की सफलता को और भी मजबूती दी।

  • 2017 हॉकी वर्ल्ड लीग (एचडब्ल्यूएल) में चौथा स्थान: सलिमा टेटे ने भारतीय महिला हॉकी टीम को 2017 के हॉकी वर्ल्ड लीग में चौथे स्थान पर पहुँचाया। इस प्रदर्शन ने भारतीय महिला हॉकी की क्षमता को साबित किया और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। यह टीम की मजबूत रणनीति और सलिमा के नेतृत्व का परिणाम था।

  • 2021 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई: सलिमा टेटे और उनकी टीम ने 2021 टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया, जो भारतीय महिला हॉकी के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक में अपनी जगह बनाने के लिए कठिन संघर्ष किया और अंततः 2021 के ओलंपिक में भाग लिया, जो भारतीय महिला हॉकी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी।

  • 2022 एशियाई खेलों में पदक: सलिमा ने एशियाई खेलों में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय महिला हॉकी टीम ने 2022 एशियाई खेलों में शानदार प्रदर्शन किया और सलिमा के नेतृत्व में टीम ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की। यह प्रदर्शन भारतीय महिला हॉकी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था, क्योंकि यह टीम को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और अधिक प्रतिस्पर्धी बना रहा था।
  • अर्जुन पुरस्कार 2024: सलिमा टेटे को 2024 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार भारतीय महिला हॉकी में उनके अद्वितीय योगदान और खेल के प्रति उनकी निरंतर मेहनत और समर्पण को मान्यता देता है। वह झारखंड राज्य की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ।

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय हॉकी की पहचान: सलिमा टेटे का खेल केवल राष्ट्रीय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चित है। उन्होंने भारतीय महिला हॉकी को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई। उनकी मेहनत और उत्कृष्टता ने भारतीय महिला हॉकी को एक नई दिशा दी और उन्होंने यह साबित किया कि महिलाएं भी हॉकी जैसे चुनौतीपूर्ण खेल में अपने देश का नाम रोशन कर सकती हैं।

  • युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा: सलिमा टेटे न केवल एक महान खिलाड़ी हैं, बल्कि वह युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी लाखों युवाओं को यह संदेश देती है कि यदि मेहनत और समर्पण हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। उन्होंने हमेशा यह कहा है कि छोटे गांवों और कस्बों से आने वाले बच्चों के लिए भी बड़ी सफलता संभव है, बस उन्हें सही मार्गदर्शन और अवसर मिलना चाहिए।सफलता संभव है, बस उन्हें सही मार्गदर्शन और अवसर मिलना चाहिए।

झारखंड की हॉकी धरोहर

सलिमा टेटे की इस उपलब्धि ने झारखंड के हॉकी इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। इससे पहले, झारखंड के माइकल किंडो को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया था। माइकल किंडो, जो एक ओलंपियन हॉकी खिलाड़ी हैं, राज्य के पहले ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को प्राप्त किया। इसके अलावा, झारखंड के अन्य हॉकी खिलाड़ियों जैसे सिल्वानस डंग डंग और दिवंगत माइकल किंडो को भी मेजर ध्यानचंद पुरस्कार मिल चुका है। ये पुरस्कार राज्य में हॉकी के प्रति प्रेम और खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत को सम्मानित करते हैं।

राष्ट्रपति भवन में सम्मानित खिलाड़ी

राष्ट्रीय खेल पुरस्कार समारोह में कुल 32 खिलाड़ियों को उनके अद्वितीय खेल प्रदर्शन के लिए अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। इनमें भारतीय पुरुष हॉकी टीम के प्रमुख खिलाड़ी जर्मनप्रीत सिंह, संजय, अभिषेक, और सुखजीत सिंह शामिल थे। ये सभी खिलाड़ी भारतीय हॉकी के स्तंभ हैं और उनके योगदान को इस पुरस्कार के जरिए मान्यता प्राप्त हुई है। उनके प्रयासों से भारतीय हॉकी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया गया है।

अन्य प्रमुख पुरस्कार विजेता

इस समारोह में कई अन्य प्रमुख खिलाड़ियों को भी सम्मानित किया गया। दो बार की ओलंपिक पदक विजेता शूटर मनु भाकर , किशोर चेस वर्ल्ड चैंपियन डी. गुकेश, पुरुष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह, और पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता प्रवीण कुमार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया। इन खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत और समर्पण से भारतीय खेल जगत में अपूर्व योगदान दिया है।

मनु भाकर ने शॉटगन और राइफल शूटर के रूप में कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का नाम रोशन किया है। वहीं, डी. गुकेश ने चेस के खेल में अपनी अद्वितीय क्षमताओं से भारत को गर्वित किया है। हरमनप्रीत सिंह ने भारतीय हॉकी टीम के कप्तान के रूप में टीम को उत्कृष्ट नेतृत्व प्रदान किया है। प्रवीण कुमार, जिन्होंने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता, उन्होंने यह साबित कर दिया कि किसी भी शारीरिक चुनौती को पार करते हुए सफलता प्राप्त की जा सकती है।


राष्ट्रीय खेल पुरस्कार समारोह का महत्व

यह पुरस्कार समारोह न केवल खिलाड़ियों को सम्मानित करने का एक अवसर है, बल्कि यह भारतीय खेल क्षेत्र की समृद्धि और विकास को भी दर्शाता है। इन पुरस्कारों से यह स्पष्ट होता है कि सरकार और समाज खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत और समर्पण को महत्व देते हैं। इस प्रकार, यह समारोह खिलाड़ियों को अपने खेल में निरंतर सुधार करने और नए मानक स्थापित करने के लिए प्रेरित करता है।

खेल क्षेत्र में भारत की स्थिति

राष्ट्रीय खेल पुरस्कार समारोह भारतीय खेल क्षेत्र में एक नई दिशा की ओर संकेत करता है। यह हमारे खिलाड़ियों के संघर्षों, उपलब्धियों और योगदानों का जश्न मनाता है। इस तरह के सम्मान से भारतीय खेलों को बढ़ावा मिलता है और खिलाड़ियों को वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाने का अवसर मिलता है। यह समारोह यह साबित करता है कि भारतीय खेल क्षेत्र में अवसर और सम्मान की कोई कमी नहीं है।

युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत

इस पुरस्कार समारोह का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह भारतीय खेल क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा बन गया है। युवा खिलाड़ी जिन्होंने अपने खेल को उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, वे आने वाले पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। इन पुरस्कारों से यह संदेश जाता है कि अगर एक खिलाड़ी अपने खेल में समर्पण और कड़ी मेहनत करता है, तो उसे सम्मान और पहचान प्राप्त हो सकती है।

तो ये थी आज की रोचक व प्रेरणादायक आर्टिकल सलीमा टेटे के बारे में जिन्होंने पुरे झारखण्ड और भारत के साथ साथ पुरे विश्व में अपना परचम लहराया और संघर्षों से सफलता को प्राप्त करने की हिम्मत दिलाती है।

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झारखंड की पहली महिला अर्जुन पुरस्कार विजेता कौन है ?

सलीमा टेटे, झारखंड की पहली महिला अर्जुन पुरस्कार विजेता हैं । इन्हें 2024 के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया है ।

Salima Tete kahan ki rahne wali hai ?

Salima Tete Jharkhand ke Simdega jile ki rahnd wali hai .

सलीमा टेटे का जन्म कब हुआ ?

27 दिसंबर 2001

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